सिटी पोस्ट लाइव, कानपुर: गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर शनिवार को कानपुर के सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। इसके साथ ही घाटों के मंदिरों में श्रद्धाभाव से पूजन पाठ किये और इसके बाद अपने-अपने गुरुओं का आर्शीवाद लिए। गंगा के घाटों पर सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा है और कोविड नियमों का पालन कर मां गंगा को नमन किये। खासकर बिठूर के ब्रम्हवर्त घाट पर हजारों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मां गंगा में स्न्नान कर ब्रह्म खूटी का पूजन पाठ कर आर्शीवाद लिए। हालांकि वीकेंड लाकडाउन का भी असर दिखा और अन्य वर्षों की भांति श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कानपुर के विभिन्य गंगा घाटों पर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कोरोना पाबंदियों के बाद भी भक्त मंदिरों के दर्शन और गंगा स्नान के लिए सुबह से ही भीड़ लगाकर खडे़ दिखाई दिये। गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालु आनंदेश्वर मंदिर, बलखंडेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, खेरेश्वर मंदिर सहित गंगा के विभिन्न घाटों के मंदिरों में पूजन पाठ किये। यही नहीं श्रद्धालुओं ने गंगा घाट के किनारे आदि गुरु वेद व्यास, ब्रह्मा, शुकदेव, शंकराचार्य आदि की प्रतिमाएं रखकर पूजन-अर्चन किये। इसके अलावा श्रद्धालु अपने-अपने गुरुओं की पूजा के लिए उनके आश्रम व कुटी पर भी गए। पूजा-पाठ के बाद उनका आशीर्वाद लिया।
आचार्य रामऔतार पाण्डेय ने गुरु पूर्णिमा का महात्म्य बताते हुए कहा कि आसाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। यह पर्व वर्षा ऋतु के आरंभ में आता है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। बताया कि गुरु पूर्णिमा पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से कुंभ स्नान जैसे फल मिलता है। आज गुरु पूर्णिमा के दिन मां गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिषाचार्य राकेश दुबे का कहना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले अपने गुरु की पूजा होती है और उसके बाद गंगा स्नान करने से सभी फल की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि आज के दिन गंगा स्नान करने और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए हम मां गंगा में स्नान करने आए हैं। आज के दिन सभी अपने गुरु की पूजा करते हैं, हमें गंगा स्नान करके काफी अच्छा लगा है। गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं और अपने गुरु की पूजा कर उनके द्वारा सिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं।