सिटी पोस्ट लाइव : ओमिक्रॉन का सबसे ज्यादा प्रभाव लीवर पर पड़ रहा है. संक्रमण से ठीक होने वालों को अब पेट की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना का मामला कम होते ही अब गैस्ट्रो विभाग में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 70% मरीज ऐसे हैं, जो तीसरी लहर में कोरोना संक्रमित हुए हैं. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) ने अचानक से बढ़ी मरीजों की संख्या को कोरोना का साइड इफेक्ट बताया है. ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें अचानक से पेट की गंभीर बीमारी डिटेक्ट हो रही है.
IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल के अनुसार ‘कोरोना की तीसरी लहर में हर घर में कोरोना संक्रमित हैं. तीसरी लहर में मरीज सांस से परेशान नहीं .। संक्रमित सर्दी, खांसी व हल्के बुखार से परेशान हैं. कोरोना से 5 से 7 दिन में मुक्ति मिल जा रही है, लेकिन इसके बाद जो उसका साइड इफेक्ट है वह मरीजों पर भारी पड़ रहा है. ‘डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनको 15 दिन बाद भी खांसी बनी हुई है. एक माह तक खांसी ठीक नहीं हो रही है., ऐसे मरीजों की संख्या भी अचानक से बढ़ी है जिनका पेट खराब रह रहा है. कोरोना से ठीक हुए मरीजों में गैस की समस्या, खाना नहीं पचना और भूख नहीं लगने के साथ पेट में दर्द की समस्या बनी रह रही है.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान का कहना है कि यह शोध का विषय है कि अचानक से कोरोना संक्रमितों के पेट में गंभीर बीमारी क्यों आ रही है. पेट की समस्या का असर शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है. कोरोना की तीसरी लहर में ठीक होने वालों में अचानक से बाल सफेद होना और गिरना और अचानक से चश्मे का पावर बढ़ जाने की समस्या आ रही है. कोरोना की तीसरी लहर में 80% ही ऐसे मामले आए हैं. स्किन विभाग में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है. पटना मेडिकल कॉलेज और नालंदा मेडिकल कॉलेज में भी पोस्ट कोविड में पेट के संक्रमण के मामले बढ़े हैं.
कोरोना दूसरी लहर में गले में ज्यादा इफेक्ट पहुंचा रहा था, लेकिन इस बार वायरस पेट में पहुंचकर संक्रमण फैलाकर परेशान कर रहा है. ऐसे मरीजों में कोरोना का संक्रमण पेट में अधिक दिख रहा है जिन्हें पेट में पहले से कब्ज या गैस की समस्या रही है. ऐसे लोगों को दो माह तक का समय ठीक होने में लग जाएगा. हर दिन ओपीडी में ऐसे मरीज ज्यादा संख्या में आ रहे हैं जिन्हें कोरोना के कारण पेट की समस्या है.