सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी कोहराम मचा रही है और अब 3 साल पूर्व के खतरे और विनाश की रिकॉर्ड को तोड़ देने के बाद अब 33 साल पहले का ही खतरनाक स्तर छूने को है. बूढ़ी गंडक का जलस्तर व 1987 वर्ष की प्रलंयकारी बाढ़ याद कर दहशत में है. स्थानीय लोग तो अब लगातार जलस्तर में वृद्धि खतरे के साथ जिला प्रशासन के लिए भी अलर्ट मोड में रहने के लिए मजबूर कर दिया है।
आपको बता दें बीते लगातार एक सप्ताह से बूढ़ी गंडक नदी मुजफ्फरपुर के ही सिकंदरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और इसका जलस्तर 1987 के खतरनाक जल स्तर से महज 38 सेंटीमीटर नीचे रह गई है. 1987 में आई बाढ़ में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 54 मीटर 29 सेंटीमीटर था, जबकि वर्तमान में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 53 मीटर 91 सेंटीमीटर हो गया है. इसके साथ ही नदी का पानी नये इलाकों में फैलता ही जा रहा है व अब 2017 की बाढ़ में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर जिस स्तर पर पहुंचा था उसको बूढ़ी गंडक इस बार पार कर गई है. लोगों को 1987 के बूढ़ी गंडक के खतरनाक स्तर की याद सता रही है।
मुजफ्फरपुर जिला में गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती नदी की बाढ़ की वजह से जिले के 13 प्रखंडों के 203 पंचायत की करीब 12 लाख की आबादी प्रभावित हुई है. इसमें से दो प्रखंड औराई और गायघाट पूरी तरह बाढ़ की चपेट में है तो औराई और गायघाट में बागमती नदी के बाढ़ का पानी घरों तक पहुंचा है. लोगों को आवागमन से लेकर खाने पीने की समस्या हो रही है जबकि बूढ़ी गंडक नदी का पानी रोजाना नए नए इलाकों में फैलता ही जा रहा है. इसको लेकर क्षेत्र की एक बड़ी आबादी पलायन करने के साथ ही बांध पर आश्रय लिए हुए हैं।
अब नदियों के बढ़ते जलस्तर को लेकर के बूढ़ी गंडक नदी में कई जगहों पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है. मोतीपुर और कांटी इलाके के अलावा मुसहरी और मीनापुर क्षेत्र में भी बूढ़ी गंडक नदी के बांध पर दबाव बना हुआ है. पानी के बढ़ते दबाव को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने मोतीपुर में बांध की मरम्मती का काम तेज कर दिया है, तो जल संसाधन विभाग ने भी कमजोर तटबंध के पास रेत भरे बोरे को जमा करना शुरू कर दिया.