सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में अपराध का सबसे बड़ा कारण जमीन रहा है. जमीनी विवाद के मामले हर दिन कोर्ट में देखने को मिलता है. इसकी वजह से अपराधी मारपीट और हत्या जैसी वारदात को अंजाम देते हैं. इतना ही नहीं कई मामले ऐसे भी हैं जिसमें ये विवाद 50 साल तक चलता है. लेकिन अब शायद यह विवाद खत्म होता दिखाई दे रहा है. दरअसल अब एक नया सिस्टम तैयार हो रहा है. जिससे आप 100 साल पुराने जमीन के कागजात ऑनलाइन ही देख सकते हैं. यही नहीं इस ऑनलाइन तकनीक से कोई किसी का जमीन कब्जा नहीं कर पायेगा. न ही जमीन का फर्जी रसीद कट पायेगा.
दरअसल सरकारी स्तर पर जमीन के दस्तावेजों की खोज के लिए नई व्यवस्था अमल में लाई जा रही है. अब बस एक क्लिक में ही जमीन से जुड़े दस्तावेज आसानी से देखे जा सकेंगे. दावा किया जा रहा है कि इस नई व्यवस्था से फर्जी कागज बनाकर सरकारी व निजी जमीन पर कब्जा करना कठिन हो जाएगा. इतना ही नहीं जमाबंदी पंजी का पुराना रिकॉर्ड गायब होने का बहाना भी नहीं किया जा सकेगा. उम्मीद की जा रही है कि नई व्यवस्था से भूदान की जमीन न तो रिकॉर्ड से गायब होगी और न ही एक ही जमीन का दो बार पर्चा बंटेगा.
जानकारी अनुसार इसके लिए पहले चरण में प्रदेश के 163 अंचलों का चयन किया गया है. बताया जा रहा है कि इसके लिए सरकार ने फंड जारी कर दिया है. बताया जा रहा है कि सारण जिले के आधुनिक अभिलेखागार के लिए उपकरण की खरीदी भी की जा चुकी है. सारण जिले के सोनपुर, मढ़ौरा, एकमा, मांझी व छपरा सदर में आधुनिक अभिलेखागार-सह-डाटा केन्द्र का भवन बनकर तैयार है. जाहिर है सरकार जमीन से जुड़े अभिलेखों को व्यवस्थित व सुरक्षित रखने के लिए उन्हें डिजिटाइज्ड एवं स्कैन करा रही है. नई व्यवस्था में डिजिटाइजेशन एवं स्कैनिंग की कार्रवाई इस प्रकार होगी कि भविष्य में सॉफ्टवेयर के माध्यम डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम और रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम के सॉफ्टवेयर द्वारा उन्हें ट्रैक किया जा सके.