सरकारी आदेश के बाद बंद हैं निजी अस्पताल और क्लिनिक, संकट में हैं गैर-कोरोना मरीज.
सिटी पोस्ट लाइव : सरकार कोरोना संकट से लड़ने में जुटी है लेकिन गैर-कोरोना मरीजों की समस्याओं की तरफ किसी का ध्यान नहीं है.सरकारी आदेश के वावजूद कोरोना के डर से निजी अस्पतालों और क्लिनिक में ओपीडी सेवायें ठीक से अभीतक शुरू नहीं हो पाई हैं.ज्यादातर निजी अस्पतालों और निजी क्लिनिक में अभीतक ईलाज शुरू नहीं हुआ है. महामारी कानून के तहत सरकार के द्वारा दिए गए आदेश के बावजूद पटना में के 5000 निजी अस्पतालों में से अधिकांश के दरवाजे पर ताला लटका है. मरीज परेशान हैं कि आखिर जाएं तो जाएं कहां .
राज्य में एक ही गैर-कोरोना सरकारी अस्पताल है आईजीआईएमएस ,जहाँ कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद ईलाज ठप्प है.ज्यादातर सरकारी अस्पताल कोरोना अस्पताल बन गए हैं.निजी अस्पताल खुल नहीं रहे, ऐसे में गैर-कोरोना मरीजों की जान आफत में है.कोरोनावायरस से बचने के लिए बिहार के ज्यादातर निजी अस्पताल बंद कर दिए गए हैं. लेकिन कोरोना प्रकोप के दौरान ही राज्य की सरकार ने महामारी कानून के तहत यह आदेश दिया है कि मरीजों की सुविधा के लिए निजी अस्पताल को खोला जाए. लेकिन स्थिति यह है कि कोरोनावायरस ए 5000 अस्पतालों में से करीब 80% हस्पताल ऊपर ताला लटका है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है.
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि महा में महामारी कानून के तहत दिए गए आदेश के बावजूद पटना के 80% निजी अस्पताल बंद क्यों है?दरअसल, जब से पटना के बाईपास में स्थित एक अस्पताल के कर्मियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया उसके बाद से चिकित्सकों के अंदर भी भय व्याप्त हो गया है. निजी अस्पताल के चिकित्सकों को भी कोरोना का एडवांस भय सता रहा है कि पता नहीं कौन मरीज कोरोना पॉजिटिव आ जाए और फिर संपर्क में आकर पूरे अस्पताल इसके लपेटे में आ जाए. पुराने मरीज जिन निजी अस्पतालों में ईलाज कराते थे कोरोना वायरस के भय से उन लोगों ने भी इलाज करने से इंकार कर दिया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एलेक्ट अमरकांत झा अमर कहते हैं कि शुरू से ही ओपीडी सेवा जारी रखने का निर्देश IMA ने दिया है.लेकिन फिर भी डर से कुछ निजी अस्पताल नहीं काम कर रहे हैं.अमरकांत अमर झा का कहना है कि जिस तरीके से सरकारी डॉक्टरों का 50 लाख का बीमा किया गया है उसी तरह से निजी क्लीनिक में भी आने वाले चिकित्सकों का बीमा कराया जाना चाहिए. लेकिन सरकार का कहना है कि पहले निजी अस्पताल खोले जाएं फिर उनके डॉक्टर के बीमा पर विचार किया जाएगा.
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