“विशेष” : कोसी के लाल अमृत की फिल्में दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल के लिए नामित
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : कहते हैं सच्ची लगन और जिगर के जुनून को आसमान की बुलंदी और चट्टानी कामयाबी हासिल होकर रहती है। सामाजिक जागरूकता के विषयों पर फिल्म निर्माण के जरिए बेहद कम ही समय में सहरसा जिला मुख्यालय के कायस्थ टोला निवासी अमृत सिन्हा ने ना केवल मायानगरी में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। गौरतलब है कि रंगमंच से निकलकर फिल्मों का सफर तय करने वाले अमृत सिन्हा ने अबतक कई फिल्मों का निर्माण किया है। इन फिल्मों में से उनकी तीन फिल्मों को नौंवें दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल के लिए नामित किया गया है। वाकई यह उपलब्द्धि कोसी के लोगों के लिए बड़ी ऊर्जा का संवाहक और खुशी का बेहतरीन सबब है।
बताना लाजिमी है कि अमृत की फिल्म “रक्त प्रदाता जीवन दाता” दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए मानवता श्रेणी में स्क्रीनिंग होगी। इसके अलावा “फेरस” और स्वच्छता पर आधारित फिल्म “ए स्माल हैंड” को भी दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। मोबाइल के जरिये अमृत सिन्हा से हमारी लंबी बातचीत हुई। इस दौरान अमृत ने बताया कि इस वर्ष लंदन और झारखंड में होने वाले फेस्टिवल के लिए भी उनकी फिल्मों का चयन किया गया है। जबकि पिछले वर्ष उनकी फिल्म “फेरस” को नाइजीरिया में रियल टाईम अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म का पुरस्कार मिला था।
मुंबई शहर में अपराध जगत के ईद-गिर्द घूमती फिल्म “फेरस” को सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म व सर्वश्रेष्ठ पटकथा के दो श्रेणियों में नामित किया गया था। यहाँ यह उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि अमृत को पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं। सहरसा के रिहायसी मुहल्ला कायस्थ टोला निवासी सुधीर कुमार सिंहा के पुत्र अमृत ने महज तीन वर्ष पूर्व तनय इंटरनेशनल फिल्म प्रोडक्शन हाऊस की स्थापना की थी। 2016 में खजुराहो में पौराणिक मंदिर की मूर्तिकला व मंदिर से जुड़े विषयों पर बनी उनकी फिल्म “खजूरवाटिका” को भी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली और अवार्ड भी हासिल हुआ।
2017 में हैदराबाद के ब्लड डोनर पर बनाई गई फिल्म “रक्त प्रदाता जीवन दाता” फिल्म को काफी सराहना मिली। यह फिल्म रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए बनाई गई थी। वहीं भारत में खाने की बर्बादी पर बनी फिल्म “ए शाल दैट बीट्स” को भी काफी सराहना मिली। दोनों ही फिल्में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड हासिल करने में सफल रहीं। अमृत सिन्हा का बचपन सहरसा में ही बीता है। उन्होंने बीटेक की डिग्री हासिल की है ।बीटेक के बाद फिल्म दुनिया में उनकी रुचि काफी बढ़ी और वे मायानगरी में अपनी किस्मत आजमाने लगे।
अमृत सिन्हा ने समकालीन फिल्मी ट्रेंड से ईतर सामाजिक विषयों पर फिल्म निर्माण की शुरुआत की। इस नए जरिए से फिल्म निर्माण कर के अमृत समाज में जागरूकता को लेकर कुछ ही समय में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। 2000 में डीसी यादव कॉलेज में बारहवीं करने के बाद उन्होंने 2004 में गाजियाबाद से बीटेक की डिग्री हासिल की और फिर मुंबई चले गए। उन्होंने बताया कि वह सामाजिक विषयों पर फिल्म निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।अपने प्रोडक्शन हाऊस के माध्यम से आगे वे प्रतिभाशाली कलाकारों को अंतर्राष्ट्रीय मंच मुहैया कराएंगे। अमृत से पहले कोसी इलाके के मनोज श्रीपति ने निर्देशन के क्षेत्र में खूब ख्याति अर्जित की है।
अभिनय के क्षेत्र में उल्का गुप्ता,राहुल सिन्हा,पंकज झा,संजय सिंह सहित कुछ और हस्तियां बॉलीबुड में अपनी दमदार पहचान बना चुके हैं। पार्श्व गायक उदित नारायण झा भी कोसी के ही लाल हैं। दीगर बात है कि कोसी के लाल विविध क्षेत्रों में अपने नाम का डंका बजाकर कोसी और बिहार का नाम ऊंचा कर रहे हैं ।साधारण परिवार से आने वाले अमृत सिन्हा ने यह साबित कर दिया है कि अगर हौसला और जुनून हो, तो आप जो चाहो कर सकते हैं ।असली मंजिल के हकदार वही हैं, जो ख्वाब देखकर,उसे मूर्त रूप देने के लिए सिद्दत से ईमानदार मेहनत करते हैं। कोसी वासियों को अमृत पर नाज है।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष”रिपोर्ट