सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शराबबंदी को लेकर लगातार सरकार घेरे में हैं. विपक्ष शराबबंदी कानून को गरीबों के लिए अभिषाप बता रही है. वहीं जहरीली शराब से मौत ने राज्य सरकार की नींद हराम कर दी है. ऐसे में खबर सामने आ रही है कि जल्द ही शराबबंदी कानून में संशोधन किया जा सकता है. हालांकि राज्य के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने ऐसी किसी भी बात से इंकार कर दिया है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उनके विभाग को अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि विभाग के पास अब तक कोई प्रामणिक पेपर या प्रोपोजल विचार करने के लिए नहीं आया है. दूसरी ओर गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने पुष्टि की है कि इस मुद्दे पर अंतर-विभागीय परामर्श आयोजित किया गया था. हालांकि, उन्होंने ब्योरा देने से मना कर दिया है.
सूत्रों के अनुसार मध्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा इसको लेकर संशोधन प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. नए संशोधन में शराब पीने के अपराध में गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों को राहत मिल सकती है. शराब पीने के जुर्म में जेल भेजे जाने के बजाय मजिस्ट्रेट के सामने तय जुर्माना राशि को भरने के बाद छोड़े जाने का प्रावधान लागू किया जा सकता है.सूत्रों के मुताबिक जुर्माना नहीं भरने की हालत में ही अभियुक्तों को जेल भेजा जाएगा. हालांकि नए प्रावधान के मुताबिक शराब बनाने और बेचने वालों पर पहले की तरह सख्त कार्रवाई जारी रहेगी. नई व्यवस्था का मकसद न्यायालय में लंबित मामलों को कम करने के अलावा बड़े शराब माफियाओं और तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलवाना है.
बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके तहत शराब बेचने और खरीदने पर प्रतिबंध है, इसका उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. बिहार में अभी 30 से 40 प्रतिशत केस शराब पीने वालों के खिलाफ दर्ज है. ऐसे में शराब तस्करी से जुड़े हुए मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही है. माना जा रहा है कि संशोधन के बाद न्यायालयों में लंबित आवेदनों का दबाव कम हो सकता है. ऐसा होने पर बड़े शराब माफिया और तस्करों के मामलों की सुनवाई जल्द पूरी की जा सकेगी. सरकार भी चाहती है कि ट्रायल जल्द पूरा कर बड़े शराब माफियाओं को सजा दिलाने की गति बढ़ायी जाए.