सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुजफ्फरपुर दुष्कर्म कांड मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज मीडिया के साथ पहलीबार आमना सामना होगा.हर सोमवार की तरह इस सोमवार को संवाद कार्यक्रम में लोगों की समस्याएं सुनेगें .लोगों की शिकायतें सुनने के बाद हमेशा की तरफ जब वो मीडिया से मुखातिब होगें तो उन्हें बालिका गृह रेपकांड से जुड़े तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा. गौरतलब है कि फिलहाल मुजफ्फरपुर दुष्कर्म कांड बिहार और देश में सुर्खियां बनी हुई है. ऐसे में सोमवार को पत्रकारों से रूबरू होने पर उन्हें तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है. उम्मीद की जा रही है कि इस मौके पर समाज कल्याण विभाग के सभी आलाअधिकारी भी मौजूद रहेंगे. सीएम पत्रकारों के सवालों का जवाब देने के लिए अधिकारियों को भी आगे कर सकते हैं.
शनिवार और रविवार को भी सीएम नीतीश मुजफ्फरपुर कांड में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं. शनिवार को सीएम ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वो इस मामले की जांच हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में कराने को तैयार हैं. रविवार को उन्होंने जोर देकर कहा कि गलत और गड़बड़ी करने वाला तो नहीं ही बचेगा, गलत करने वालों को बचाने वाला भी नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि एक-एक चीज देख रहा हूं, गलत करके कोई बच ही नहीं सकता है. सीएम रविवार को सतत जीविकोपार्जन योजना का शुभारंभ करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
इससे पहले शनिवार को मुजफ्फरपुर रेप कांड को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर चुके हैं. इस धरने में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शरद यादव, सीतामराम येचुरी, डी राजा समेत कई नेता शामिल हुए थे और नीतीश सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.
मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप मामले में चुप्पी तोड़ने के बाद अब सीएम नीतीश कुमार एक्शन में है. समाज कल्याण विभाग ने कार्रवाई करते हुए छह जिलों के सहायक निदेशक और सात जिलों के बाल संरक्षण पदाधिकारी को सस्पेंड कर दिया है. सस्पेंशन की इस कड़ी में विभाग के और भी लोगों पर गाज गिर सकती है. समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने रविवार को बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशकों को निलंबित किया गया है. जिन जिलों के सहायक निदेशक निलंबित किये गये हैं, उनमें मुंगेर, भागलपुर, अररिया, भोजपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि छह जिलों के सहायक निदेशक के अलावा सात जिलों के बाल संरक्षण पदाधिकारी (सीपीओ) भी निलंबित किये गये हैं.