सिटी पोस्ट लाइव : स्वीडन की बस निर्माता कंपनी द्वारा भारत में कॉन्ट्रैक्ट के लिए रिश्वत दिए जाने के मामले में भारत के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी उलझते जा रहे हैं.हालांकि नितिन गडकरी ने स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कैनिया के साथ अपने बेटों के घनिष्ठ संबंध होने की खबर का खंडन किया है.
नितिन गडकरी के कार्यालय ने इन आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और निराधार” बताया है. कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि- “इस तरह के दावे करना कि बस के लिए भुगतान नहीं किया गया था और उसे नितिन गडकरी की बेटी की शादी में इस्तेमाल किया गया, मीडिया की कोरी कल्पना है.”नितिन गडकरी के कार्यालय ने यह भी कहा है कि “चूंकि स्कैनिया बस का पूरा प्रकरण स्वीडन की इस कंपनी का आंतरिक मामला है, इसलिए मीडिया के लिए स्कैनिया इंडिया के आधिकारिक बयान का इंतज़ार करना बेहतर होगा.”
केंद्रीय मंत्री के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि नितिन गडकरी और उनके परिवार के सदस्यों का बस की ख़रीद या बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है, ना ही इससे जुड़े किसी व्यक्ति से.नितिन गडकरी के कार्यालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि – नितिन गडकरी भारत में हरित सार्वजनिक परिवहन लाने की अपनी योजना के तहत नागपुर में स्कैनिया के इथेनॉलन-चालित बस को शुरू करने के पक्षधर थे.
बयान मे कहा गया है, “उन्होंने नागपुर नगर निगम को एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया और नागपुर नागरिक निकाय ने स्वीडिश कंपनी के साथ एक वाणिज्यिक समझौते किया.”बयान में यह भी कहा गया है कि, इस समझौते के बाद स्कैनिया की इथेनॉल से चलने वाली बसें नागपुर में चलने लगीं. लेकिन यह समझौता पूरी तरह नागपुर नागरिक निकाय और स्वीडन की इस बस निर्माता कंपनी के बीच था.
स्वीडन की बस और ट्रक निर्माता कंपनी स्कैनिया ने कहा है कि कंपनी के भारतीय परिचालन के विषय में की गयी एक आंतरिक जांच में वरिष्ठ प्रबंधन सहित कर्मचारियों के दुराचार के सबूत मिले हैं और इसमें शामिल सभी लोगों ने कंपनी छोड़ दी है.
स्वीडन के मीडिया चैनल एसवीटी सहित तीन मीडिया आउटलेट्स ने यह ख़बर दी है कि स्कैनिया ने 2013 और 2016 के बीच सात भारतीय राज्यों में बस अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी.एसवीटी ने अपनी ख़बर में यह भी कहा है कि स्कैनिया ने एक ख़ास बस एक कंपनी को दी थी जिसका संबंध भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से था.इस ख़बर के अनुसार, यह बस गडकरी की बेटी की शादी के लिए दी गयी थी और इसका पूरा भुगतान नहीं किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, बस को स्कैनिया के डीलरों के माध्यम से बेचा गया था, जिन्होंने किसी ऐसी कंपनी को बस बेची या लीज पर दी थी जिसका संबंध गडकरी के बेटों से था.यह दावा स्वीडन के न्यूज चैनल एसवीटी, जर्मन ब्रॉडकास्टर ज़ेडडीएफ़ और भारत के कंफ्लुएंस मीडिया की जांच के आधार पर किया जा रहा है.ब्लूमबर्ग के अनुसार, इस मामले में राज्य सड़क परिवहन निगमों के भारतीय अधिकारियों को कुल 19 मामलों में 65,000 यूरो तक की रिश्वत दी गई थी.
एक आंतरिक जांच का हवाला देते हुए ज़ेडडीएफ़ ने कथित तौर पर कहा कि स्कैनिया ने सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनी को बेचने के लिए 100 ट्रकों के लिए वाहन दस्तावेजों और पंजीकरण पत्रों में गड़बड़ी की.एसवीटी के अनुसार, कंपनी ने ट्रकों पर चेसिस नंबर और लाइसेंस प्लेट बदल कर धोखाधड़ी की.स्कैनिया के प्रवक्ता ने रायटर को बताया कि कंपनी ने 2017 में अपनी आंतरिक जांच शुरू कर दी थी और इस पूरे मामले में कथित रूप से रिश्वतखोरी, व्यापार भागीदारों के माध्यम से रिश्वतखोरी और गलत बयानी शामिल है.
नागपुर ग्रीन बस परियोजना की परिकल्पना नगर पालिका क्षेत्रों में इथेनॉल-संचालित बसों को चलाने की थी. यह योजना सभी सिटी बसों को जैव ईंधन पर चलाने की थी. 2016 में परियोजना शुरू करते समय नितिन गडकरी ने कहा था कि- यह योजना केवल गुड़ से नहीं बल्कि चावल, गेहूं के भूसे और बांस से इथेनॉल बनाने की भी है..
स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कैनिया को परियोजना के तहत 55 इथेनॉल से चलने वाली बसों को चलाने के लिए तैयार किया गया था. लेकिन यह परियोजना 2018 में खटाई में पड़ गयी जब स्कैनिया ने परियोजना को रोक दिया और अपनी 25 ग्रीन बसों को नागपुर नगर निगम से बकाया भुगतान न करने और समर्थन की कमी का हवाला देते हुए बंद कर दिया.नितिन गडकरी पहले भी कई विवादों में घिरे रहे हैं. समय-समय पर उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.2012 में, जब वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे, उन पर भ्रष्टाचार विरोधी प्रचारकों द्वारा लाखों डॉलर के सिंचाई घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.