चूड़ा-दही भोज में बनते रहे हैं नए सियासी फॉर्म्यूले.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में दही-चूड़ा भोज की राजनीति बड़ा बड़ा गुल खिलाती रही है.आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इसकी शुरूआत की थी. हर साल मकर संक्रांति पर लालू का आवास दही-चूड़ा भोज का केंद्र बनता रहा है. रामविलास पासवान ने दिल्ली में लालू के तर्ज पर दही-चूड़ा भोज का रिवाज शुरू किया. संक्रांति का दही-चूड़ा भोज महज रस्मअदायगी नहीं होती, बल्कि इसी भोज में सियासत के दांव तय होते रहे हैं.

इस बार बिहार में दो नेताओं के आवास पर 14 जनवरी को दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया गया है. एक आयोजन राबड़ी देवी के आवास पर तेजस्वी यादव की ओर से होगा तो दूसरा आयोजन जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने किया है. ये दोनों भोज राजनीतिक कारणों से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.तीन कारणों से इस बार नेताओं का दही-चूड़ा भोज खास बन गया है. एक तो नीतीश कुमार के खिलाफ आरजेडी विधायकों की बयानबाजी से जेडीयू खेमा खूब खफा है. नीतीश के खिलाफ बयानबाजी तेजस्वी को भी नागवार लगी है और उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिये हैं.

जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अपने अनुमान से इसका समय भी निर्धारित कर दिया है. उन्होंने कहा है कि खरमास बाद सुधाकर सिंह जैसे विधायकों पर आरजेडी कार्रवाई करेगा. हालांकि उनके इस भरोसे का आधार क्या है, उस पर उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं है. वह सिर्फ अनुमान से ऐसा कह रहे हैं कि कोई भी नया काम खरमास में नहीं होता, इसलिए आरजेडी अपने बेसुरा बोलने वाले विधायकों पर दही-चूड़ा भोज के बाद ही कार्रवाई करेगा.

इस बार दही-चूड़ा भोज के खास होने का दूसरा कारण यह है कि नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं. विस्तार में अपनी जगह सुरक्षित कराने के लिए उपेंद्र कुशवाहा जैसे कई लोग बेचैन दिखते हैं.लेकिन नीतीश कुमार ने कुशवाहा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को डिप्टी सीएम बनाए जाने की अटकलों पर ये कहते हुए विराम लगाया .. ये सब फालतू बात है. अटकलों को फालतू बताकर नीतीश ने जिस तल्खी से विराम लगा दिया है उससे संन्यास तोड़ने को बेकरार बैठे उपेंद्र कुशवाहा को झटका लगा होगा.

आरजेडी की ओर से बार-बार यह इशारा किया जा रहा है कि नीतीश को अब बिहार की गद्दी तेजस्वी को सौंप कर खुद राष्ट्रीय राजनीति का रुख करना चाहिए. महागठबंधन के साथ सरकार बनते वक्त लालू ने यही बताया भी था. इधर नीतीश कुमार टालमटोल कर रहे हैं. इससे खफा होकर ही सुधाकर सिंह और विजय कुमार मंडल जैसे विधायक नीतीश और उनकी सरकार के कामकाज की आलोचना कर रहे हैं.जैसा कि अब तक तेजस्वी यादव संकेत देते रहे हैं और उपेंद्र कुशवाहा ने भरोसे से कहा है, उसमें अगर सच्चाई है तो अपने विधायक सुधाकर सिंह पर आरजेडी अवश्य कार्रवाई करेगी. अगर इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होती है तो मानना पड़ेगा कि सुधाकर सिंह को ऐसा बोलने की छूट पार्टी ने ही दी थी. तब महागठबंधन में खींचतान और बढ़ जायेगी.

लालू प्रसाद यादव के घर संक्रांति का दही-चूड़ा भोज काफी चर्चित रहा है. 12 जनवरी 2018 को रांची हाईकोर्ट में चारा घोटाले के आरोप में बंद लालू के जमानत को जब अदालत ने खारिज कर दिया तो उन्होंने जज से चिरौरी की- हुजूर, जमानत नहीं दीजिएगा तो दही-चूड़ा भोज कैसे देंगे. हजारों लोग आते हैं हमारे यहां भोज में. हमारे नहीं रहने पर बेइज्जती होगी. इस पर जज शिवपाल सिंह का जवाब था- चिंता न कीजिए. हमलोग यहीं दही-चूड़ा खाएंगे. हाजिर जवाब लालू पलट कर बोले- नहीं हुजूर, मेरे साथ भोज खाने पर लोग आपको भी बदनाम कर देंगे.

वर्ष 2017 में बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. तेजस्वी यादव उस वक्त भी डिप्टी सीएम थे. उन दिनों जेडीयू और आरजेडी के रिश्तों में थोड़ी तल्खी आ गयी थी. राबड़ी के आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन था. सभी यह मान रहे थे कि लालू के दही-चूड़ा भोज में नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे. लेकिन नीतीश भोज में शामिल हुए. उसी आयोजन में लालू ने नीतीश को दही का टीका लगाया. अपने मजाकिया लहजे में उन्होंने कहा कि अब बीजेपी के टोने का असर नहीं होगा. हालांकि कुछ ही दिनों बाद नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले गये. इस बार नीतीश के बारे में सुधाकर सिंह की टिप्पणी को लेकर तनातनी है. लालू इस बार भोज में नहीं होंगे. अब राबड़ी और तेजस्वी को ऐसे हालात से निपटना है. सबकी निगाहें इसी पर टिकी हुई हैं.

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