मुशर्रफ़ को फांसी की सजा, सेना ने किया विरोध, कोर्ट को जमकर कोसा.
सिटी पोस्ट लाइव : पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व आर्मी प्रमुख को देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराया गया है और उसे मौत की सज़ा सुनाई गई है. पाकिस्तान के एक स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराते हुए संविधान के अनुच्छेद छह के तहत मौत की सज़ा सुनाई है. स्पेशल कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने यह फ़ैसला सुनाया है. पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस वक़ार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली बेंच में सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस नज़र अकबर और लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस शाहिद करीम शामिल थे.
अदालत के इस फ़ैसले पर पाकिस्तान की सेना ने कड़ा ऐतराज जताया है. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर ने बयान जारी करके कहा है कि जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ अदालत के फ़ैसले से सेना को धक्का लगा है और यह काफ़ी दुखद है.ग़फ़ूर ने अपने बयान में कहा है, ”पूर्व सेना प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने मुल्क की 40 सालों तक सेवा की है. जिस व्यक्ति ने मुल्क की रक्षा में जंग लड़ी वो कभी देशद्रोही नहीं हो सकता है. इस अदालती कार्यवाही में संविधान की भी उपेक्षा की गई है. यहां तक कि अदालत में ख़ुद का बचाव करने का भी मौक़ा नहीं दिया गया, जो कि बुनियादी अधिकार है. बिना ठोस सुनवाई के जल्दीबाजी में फ़ैसला सुना दिया गया है.
ग़फ़ूर ने कहा कि पाकिस्तान की सेना उम्मीद करती है कि अदालती फ़ैसले मुल्क के संविधान के हिसाब से हो.अभी जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ दुबई में हैं. वो अस्पताल में भर्ती हैं. एक वीडियो स्टेटमेंट में मुशर्रफ़ ने अस्पताल से कहा है, ”कोर्ट का फ़ैसला बिल्कुल बेबुनियाद है. हमने 10 साल तक मुल्क और सेना को लीड किया. मैंने पाकिस्तान के लिए युद्ध भी लड़ा. हमें प्रताड़ित किया गया है.मुशर्रफ़ की टीम इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है. अगर सुप्रीम कोर्ट भी इस फ़ैसले पर मुहर लगा देता है तो राष्ट्रपति संवैधानिक अधिकार के तहत मौत की सज़ा माफ़ कर सकते हैं.
मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला तीन नवंबर 2027 को पाकिस्तान में आपातकाल लगाने से जुड़ा हुआ है. यह मामला 2013 से ही लंबित था. 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का तख्तापलट कर मुशर्रफ़ सत्ता में आए थे.मुशर्रफ़ ने 2007 में आपातकाल लगा दिया था. आपातकाल लगाने के बाद पाकिस्तान के अहम जजों को इस्लामाबाद और पाकिस्तान के अन्य इलाक़ों में नज़रबंद कर दिया गया था. 2013 में जब नवाज़ शरीफ़ की वापसी हुई तो मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया. मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ 31 मार्च, 2014 से अदालती सुनवाई शुरू हुई.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की वकील हिना जिलानी का कहना है कि जनरल मुशर्रफ़ को पर्याप्त सबूतों के आधार पर दोषी ठहराया गया है. जिलानी का कहना ही कि पहली बार सैन्य दुःसाहस को अदालत से झटका लगा है.उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले से यह संदेश जाएगा कि संविधान सर्वोपरि है और सैन्य दुःसाहस का हौसला कमज़ोर होगा. जिलानी का मानना है कि सैन्य दुःसाहस को न केवल कटघरे में खड़ा करना चाहिए बल्कि उसे सज़ा मिलनी चाहिए.