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बस हादसे का सच, अबतक नहीं मिला किसी के मरने का प्रमाण

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सिटीपोस्ट लाईव : सिटीपोस्ट के वरीय सहयोगी श्रीकांत प्रत्यूष ने मोतिहारी बस दुर्घटना पर बड़ा खुलासा करते हुए बताया था कि मोतिहारी बस दुर्घटना में किसी की मौत नहीं हुई थी. आज उस दुर्घटना की जांच के लिए अधिकारीगण घटना स्थल पर पहुँच चुके हैं. एफएसएल की टीम भी जांच शुरू कर चुकी है लेकिन अबतक किसी के जिन्दा जलकर मर जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला है. बस हादसे के बाद पुलिस रात से घटनास्थल पर जांच में जुटी है, लेकिन अबतक मरने के कोई प्रमाण नहीं मिला है. खुद आईजी सुनील कुमार वहां कैंप किये हुए हैं. उन्होंने भी कहा है कि अभीतक किसी के जलकर मरने का कोई निशान नहीं मिला है.

सिटीपोस्टलाईव के वरीय सहयोगी श्रीकांत प्रत्यूष के अनुसार एक विडियो  मिला है इस बस दुर्घटना से जुड़ा हुआ जिसने पुलिस के सामने कई सवाल खड़ा कर दिया है. मसलन -बस दुर्घटना के बाद क्या सभी यात्री सुरक्षित बस से निकल गए या फिर निकाल लिए गए? क्या बस दुर्घटना होने के बाद किसी ने बस में आग लगाईं ? क्या जिस बस दुर्घटना में 7 लोगों के जलकर मरने की खबर है, वह हवा में है और कोई नहीं मरा ? दरअसल जो विडियो वायरल हुआ है  उसमे लोगों  की प्रतिक्रिया को  देखकर ये बिलकुल  नहीं  लगता  कि  धू-धू  कर जल रही  उस बस में  यात्री मौजूद हैं. यात्री  अगर जलती  बस में होते  तो वहां मौजूद  लोग बेचैन होते. उन्हें बचाने के लिए कोई चीख चिल्ला रहा होता. लोग उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे होते .बस के मालिक अभिषेक पाण्डेय ने दावा किया  कि बस दुर्घटना में  कोई नहीं मरा है. उन्होंने कहा कि  बस  जब  दुर्घटनाग्रस्त  हुई तो यात्री उससे निकल भागे और घयलों  को ग्रामीणों  ने बाहर निकाल दिया . लेकिन बाद में  किसी ने  बस के  पास की घास में आग लगा दी जिसके कारण  बस आग की चपेट में  आ गया घटनास्थल  पर कैंप  कर  रहे  आईजी सुनील कुमार के  अनुसार  भी  अभीतक  बस में  किसी  के जलकर  मरने  की  कोई निशानी  मौजूद  नहीं है.बससिटीपोस्ट ने दूसरा बड़ा  खुलासा ये किया है  कि मुजफ्फरपुर से  जो बसें  दिल्ली  चल रही हैं,उनके पास कोई परमिट नहीं है .अवैधरूप से परिवहन और पुलिस विभाग की मिलीभगत से चल रही हैं.अब सिटीपोस्ट  के वरीय सहयोगी श्रीकांत प्रत्यूष ने   यह  खुलासा किया  है  कि  जो बस  दुर्घटनाग्रस्त  हुई  है  उसका नंबर फर्जी है. बस पर जो नंबर है  वह एक कैब  की है.जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है उसका नंबर यूपी 75एटी-2312  है.यह किसी बस का नहीं बल्कि एक  मोटर कैब का नंबर है. इस श्रेणी में बसें नहीं बल्कि हल्के वाहन आते हैं.सिटीपोस्ट अपनी पड़ताल के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है कि इस नंबर पर परिवहन विभाग में सचेंद्र कुमार सिंह के  पुत्र अंगद सिंह निवासी नगला रामसुंदर, इटावा का नाम दर्ज है. यह मोटर कैब श्रेणी में दर्ज है और महिंद्रा एण्ड महिंद्रा की गाड़ी है.इस नंबर पर टैक्स व फिटनेस पूरा जमा है., बिहार के परिवहन मंत्री संतोष निराला ने भी मामले की जांच का आदेश दे दिया है.निराला ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.गौरतलब है कि कैब के नम्बर चल रही यह बस मुजफ्फरपुर से चलकर मोतिहारी जिले में दुर्घटना की शिकार हो गई थी जिसमे अबतक सैट लोगों के मारे जाने की खबर है.सबसे ख़ास बात ये है कि मुजफ्फरपुर से मोतिहारी के रास्ते दिल्ली तक जानेवाली बसें वगैर परमिट के चल रही हैं,ये  सच्चाई सबको पता था. बिहार स्टेट  ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के  द्वारा  इस  बात  की जानकारी  हर डीटीओ  दी गई थी  लेकिन  कोई कारवाई नहीं की गई .जाहिर है फर्जी नंबर के  साथ  मुजफ्फरपुर से दिल्ली के लिए ये बसें परिवहन विभाग की  मिली भगत से चल रही  थीं.सबसे  बड़ा  सवाल अगर लोग जलकर मरे तो बस में क्यों नहीं मिला कोई अवशेष ? जब से दुर्घटना हुई  है स्थानीय लोग वहां जमे हुए हैं और किसी ने नहीं देखा किसी को बस के पास आते-जाते सिवाय पुलिस के.पुलिस के साथ ग्रामीण थे मौजूद .फिर कैसे उडी खबर पहले 12 के जलकर मरने की  और फिर किसने बाद में की   7 लोगों  के मरने की खबर की   पुष्टि ? ईन सारे प्रश्नों  का जबाब  फिरहाल  किसी के पास  नहीं है. जब एफ़एसएल की जांच टीम पहुंचेगी  तभी होगा  सच उजागर .

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