शिक्षा मंत्री का पद संभालते ही फुलफॉर्म में आए मेवालाल चौधरी, बोले- 50 करोड़ के मानहानि का केस करुंगा

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में नयी सरकार बनते ही विवादों में घिरे शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण कर लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को आगे बढ़ना शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना उनकी पहली और आखिरी प्राथमिकता रहेगी। अपने ऊपर लगे आरोप पर उन्होंने कहा कि उनके ऊपर लगे तमाम आरोप निराधार हैं। उन्होंने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद की कार्रवाई को भी निराधार बताया है।

बिहार सरकार के नये शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी ने कहा कि जो हमारे खिलाफ बोल रहे हैं और यह कह रहे है कि मेरी पत्नी की मौत के लिये मैं जिम्मेवार हूं, उनके खिलाफ आज ही 50 करोड़ की मानहानि का केस करुंगा और आज ही उनके पास लीगल नोटिस जाएगा।

बता दें कि मेवालाल चौधरी की पत्नी स्व. नीता चौधरी राजनीति में काफी सक्रिय रही थीं। वह जेडीयू के मुंगेर प्रमंडल की सचेतक भी थीं। 2010-15 में तारापुर से विधायक चुनी गयीं। वर्ष 2019 में गैस सिलेंडर से लगी आग में झुलसने से उनकी मौत हो गयी थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत के मामले में उनसे पूछताछ की मांग की है। इसके लिए उन्होंने डीजीपी एसके सिंघल को पत्र लिखा है।

इधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार मेवालाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उठा रहे हैं। आज भी उन्होंने इस मसले पर ट्वीट कर हमला बोला है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हत्या और भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में IPC की 409, 420, 467, 468, 471 और 120B धारा के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाने से बिहारवासियों को क्या शिक्षा मिलती है?

वहीं तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार को इस मसले पर विमर्श करने की चुनौती भी दी है। तेजस्वी यादव ने लिखा है कि आदरणीय नीतीश कुमार जी,श्री मेवालाल जी के केस में तेजस्वी को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी चाहिए कि नहीं? अगर आप चाहे तो श्री मेवालाल के संबंध में आपके सामने मैं सबूत सहित सफाई ही नहीं बल्कि गाँधी जी के सात सिद्धांतों के साथ विस्तृत विमर्श भी कर सकता हूँ।आपके जवाब का इंतज़ार है।

गौरतलब है कि तारापुर के नवनिर्वाचित जेडीयू विधायक डॉ मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वह भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए। इसके बाद जेडीयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए।लेकिन, चुनाव जीतने के बाद डॉ चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित किए गए। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।

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