सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के ढ़ीले-ढ़ाले प्रदर्शन पर पार्टी ने अब गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। पार्टी अब वन टू वन बैठक कर हार के कारणों की समीक्षा करेगी। जिन सीटों पर पार्टी को हार मिली है वहां आगे पार्टी की रणनीति तय की जाएगी।
विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने एनडीए गठबंधन के तहत सबसे अधिक 115 प्रत्याशी उतारे थे पर उसे 43 सीटों पर जीत मिली। 72 उम्मीदवार चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम पर मंथन का दौर जारी है। कई हारे हुए प्रत्याशियों से जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बातचीत कर चुके हैं। जेडीयू के शीर्ष नेताओं की कोर कमेटी ने भी चर्चा की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के बीच भी बातचीत हुई है पर अब दल ने बारीकी से हार के कारणों को जानने का फैसला किया है।
दो स्तरों पर बातचीत के जरिए पार्टी यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि अपने नेता नीतीश कुमार द्वारा बिहार के विकास के लिए 15 सालों में किए गए व्यापक कार्यों के बावजूद संगठनात्मक स्तर पर कहां क्या चूक रह गयी। कारणों की पड़ताल के बाद उसे दूर करने को लेकर पार्टी जिला, प्रखंड स्तर पर संगठनात्मक ढांचे में कुछ परिवर्तन भी कर सकती है। वहीं बूथ स्तर की इकाई को क्रियाशील करने की दिशा में भी कार्यक्रम तैयार होंगे।
जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जल्द पार्टी के सभी पराजित प्रत्याशी संग वे ‘वन-टू-वन’ बैठक कर हार के कारण जानेंगे। विस क्षेत्रों में भी बैठकें होंगी। इनमें प्रत्याशी शामिल नहीं होंगे। विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी, जिलाध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष समेत अन्य स्थानीय नेता हार के कारणों की पड़ताल कर रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को देंगे। संगठनात्मक मजबूती को लेकर जल्द ठोस पहल दिखेगी।
2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव से नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने बिहार में सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। तब जेडीयू को 88 सीटों पर जीत मिली थी और यह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।2010 के चुनाव में जदयू ने अपनी सीटें 115 तक पहुंचा दी। 2015 में महागठबंधन के तहत जेडीयू 71 सीटों के साथ आरजेडी (80) के बाद दूसरी बड़ी पार्टी थी। यह 2005 के बाद जेडीयू का सबसे कमजोर प्रदर्शन है।