महागठबंधन में फंसा सीटों का गणित, छोटे सहयोगियों में बढ़ रही नाराजगी

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) को लेकर कांग्रेस बहुत ज्यादा सक्रीय नजर आ रही है.दिल्ली से सारे बड़े नेता पटना पहुंचे हुए हैं. लगातार बैठकें हो रही हैं.अब लगातार वर्चुअल महा सम्मेलान भी शुरू करने जा रही है.पार्टी ने कम से कम 100 महा सम्मलेन करने की तैयारी की है. पार्टी में टिकेट के दावेदारों की भीड़ उमड़ने लगी है. पार्टी ने उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा और चयन के लिए कांग्रेस ने अविनाश पांडे की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी तो बना दी है. लेकिन अब तक यह किसी को पता नहीं है कि पार्टी कितनी और किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

हालांकि, पार्टी के प्रभारी महासचिव शक्ति सिंह गोहिल की तरफ से आरजेडी समेत कई दूसरी सहयोगी पार्टियों के नेताओं से कुछ दिन पहले हुए बिहार दौरे के वक्त अलग-अलग बात भी हुई है. इसके बावजूद फिलहाल सीट बंटवारे को लेकर बात आगे बढ़ नहीं रही है. यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दिल्ली दौरे के दौरान भी कोई मुलाकात या बात नहीं हो पाई है.

सीटों के बंटवारे में देरी और समन्वय समिति नहीं बनने के चलते ही जीतनराम मांझी ने पाला बदल लिया. अब उपेंद्र कुशवाहा की भी नाराजगी सामने आ रही है. दरअसल, महागठबंधन के छोटे सहयोगी दलों का मानना रहा है कि सीट बंटवारे में देरी के चलते ही लोकसभा चुनाव के वक्त प्रदर्शन खराब रहा था. लिहाजा, वे जल्द सीट बंटवारे की मांग करते रहे हैं. न सुने जाने के चलते मांझी ने महागठबंधन छोड़ दिया. इसके बावजूद अभी आरजेडी और कांग्रेस इसको लेकर ज्‍यादा गंभीर नहीं दिख रही है.

एक बात बिल्कुल साफ है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा मुख्य रूप से आरजेडी और कांग्रेस के बीच ही होना है. सूत्रों के मुताबिक एक उचित प्लेटफॉर्म पर बातचीत शुरू करने की अब तक पहल नहीं हो पाई है. दोनों ही दलों के आला नेता एक-दूसरे का इंतजार कर रहे हैं. दोनों के बीच मामला यहीं फंसा हुआ है कि पहल कौन करे? आरजेडी-कांग्रेस पहले आप, पहले आप कर रहे हैं.

दरअसल, आरजेडी इस बार 150-160 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जबकि बाकी 83-93 सीटें सहयोगी दलों को छोड़ना चाहती है. दूसरी तरफ, कांग्रेस 80 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.ऐसे में आरएलएसपी, वीआईपी जैसी पार्टी के लिए नंबर बहुत कम बचता है. उधर, एक दिन पहले ही वाम दलों के नेताओं की पटना में आरजेडी के साथ बात बन गई है. लिहाजा, कुछ सीटें उनके लिए भी छोड़नी होंगी. इस तरह असल बंटवारा आरजेडी-कांग्रेस के बीच ही होना है.

अगर आरजेडी और कांग्रेस अपनी-अपनी सीटों पर अड़े रहे तो फिर दूसरे सहयोगी दलों को एडजस्ट करना मुश्किल होगा. लेकिन, एक कदम पीछे हटकर अगर इन दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया तो फिर छोटे सहयोगी दलों को भी उसमें एडजस्ट कर लिया जाएगा. सवाल यही है कि पहल कौन करे? पहल में देरी ने उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को परेशान कर दिया है.

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