सिटी पोस्ट लाइव, आकाश ( Execlusive) : बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने आखिरकार आज इस्तीफा दे दिया. कलतक ये कहनेवाली मंजू वर्मा कि आरोप साबित होने से पहले इस्तीफा नहीं दूंगी ,आखिर आज क्यों दे दिया इस्तीफा. सिटी पोस्ट के पास इसबारे में एक ख़ास सूचना है. दरअसल, कल रात में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजू वर्मा को इस्तीफा देने का सन्देश भेंज दिया था .जैसे ही उनके पति से लगातार बातचीत की खबर मीडिया में आई, मुख्यमंत्री बहुत नाराज हो गए. वो नाराज इसलिए हुए क्योंकि मंत्री ने उनके सामने सफाई दी थी कि उनका उनके पति का ब्रजेश ठाकुर से कोई सम्बन्ध नहीं है. उनके इसी बयान के आधार पर मुख्यमंत्री ने सोमवार को उनका बचाव भी किया था.लेकिन इस बीच जनवरी से जून के बीच ब्रजेश ठाकुर के साथ 17 बार उनके पति के साथ बात होने की खबर आ गई. फिर क्या था मुख्यमंत्री ने अपना आपा खो दिया. वो इतने नाराज हो गए कि खुद मंत्री से बात नहीं करके अपने कार्यालय के एक अदना कर्मचारी से फोन करवा कर इस्तीफा मांग लिया .
लेकिन मुख्यमंत्री आवास से इस्तीफा देने के फरमान के बाद मंत्री गायब हो गईं. सुबह से ही उनके आवास के बाहर मीडियाकर्मी इंतज़ार कर रहे थे.मेदिअकर्मियों को बताया गया कि मंत्री क्षेत्र में निकल गई हैं जबकि मंत्री घर में मौजूद थीं.घंटों विचार विमर्श करने और काफी सोंच विचार के बाद उन्होंने इस्तीफे का फैसला लिया. उन्हें अपना इस्तीफा किसी के जरिये भेन्ज्वा देने का सन्देश सीएम हाउस से मिला था.लेकिन मंत्री खुद पहुँच गई चांस लेने .हो सकता है उनके आंसूं देख मुख्यमंत्री पसीज जायें. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनसे मिलाने से भी मन कर दिया. काफी देरतक इंतज़ार करने के बाद जब उन्हें लगा अब सफाई देने का कोई मौका नहीं मिलनेवाला है, फिर क्या था मंत्री जी को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री की जगह उनके टेलेफोन ड्यूटी पर तैनात कर्मी को ही सौंपना पड़ा.
ये शायद अपने तरह की यह पहली घटना है ,जहाँ एक मंत्री को अपना इस्तीफा एक टेलेफोन ड्यूटी को सौंपनी पडी है.गौरतलब है कि एकबार दोष सामने आ जाने के बाद मुख्यमंत्री बात करने की बात तो दूर चेहरा तक नहीं देखना चाहते .सूत्रों के अनुसार मंजू वर्मा के इस्तीफे को तुरत राज्यपाल को भेंज दिया गया .मुख्यमंत्री के करीबियों के अनुसार मुख्यमंत्री बालिका गृह कांड को लेकर बेहद गुस्से में हैं. उन्होंने मुख्य सचिव को एक एक अधिकारी की भूमिका की जांच कर दोषी अधिकारियों को तुरत निबटा देने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री के इस सख्त रवैये से दोषी ही नहीं बल्कि सभी नौकरशाहों के पसीने छूट रहे हैं.एक दिवसीय क्रिकेट मैच की तरह अधिकारी उछल कूद और भागदौड़ कर रहे हैं क्योंकि रेफरी ने अब अपनी चुप्पी तोड़ दी है.