सिटी पोस्ट लाइव : “ मेरे पति को बलि का बकरा बनाया गया है. मीडिया में मेरे पति का नाम उछाला गया. मुझसे इस्तीफा लिया गया .बीजेपी के मंत्री सुरेश शर्मा का नाम भी आया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुशील मोदी का इंसाफ कहां गया? मैं इस मंच से सुशील मोदी से सुरेश शर्मा की इस्तीफे की मांग करती हूं “ ये मांग कर बिहार सरकार के पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने मंत्री सुरेश शर्मा के साथ साथ बीजेपी की मुश्किल भी बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि अपने पति का नाम मुजफ्फरपुर बालिका महा-रेपकांड में उछलने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था .
पूर्व मंत्री ने कहा कि मेरी कुसरी जिस तरह से शाजिश के तहत छिनी गई है मैं दूसरों को भी चैन से नहीं बैठने दूंगी.उन्होंने अपनी लड़ाई अंतिम दम तक लड़ने का एलान करते हुए कहा कि मैं भी किसी को छोड़ने वाली नहीं हूं. मंत्री सुरेश शर्मा के इस्तीफे के मांग को लेकर जाने का एलान करते हुए मंजू वर्मा ने कहा कि दिल्ली तक जाऊंगी और अपने साथ हुए अन्याय और सुरेश शर्मा के खिलाफ कारवाई की मांग को लेकर आमरण अनशन करूंगी. उन्होंने कहा कि शादी के बाद से मैं अपने पति के साथ हूं. मैं उन्हें अच्छी तरह जानती हूं, वह निर्दोष हैं.
मंजू वर्मा के इस्तीफे की मांग बीजेपी के दो नेताओं डॉक्टर सीपी ठाकुर और गोपाल नारायण सिंह ने की थी. तब मंजू वर्मा के बचाव में सुशिल कुमार मोदी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष उतरे थे. लेकिन सुशिल मोदी का वह समर्थन मंजू वर्मा के लिए कोई मायने नहीं रखता जो उनकी मंत्री की कुर्सी बचा नहीं पाया.
बेगूसराय में एक पंचायत भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम में पहुंची पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने सुशील मोदी को खूब खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने सीधा सवाल किया कि इस प्रकरण में नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा का भी नाम आया, लेकिन उनसे इस्तीफा नहीं लिया गया फिर उनसे इस्तीफा क्यों नहीं लिया? वर्मा ने मुजफ्फरपुर कांड में अपने पति का नाम उछाले जाने को राजनीतिक शाजिश करार देते हुए कहा कि कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है. मीडिया में मेरे पति का नाम उछाला गया और मुझ से इस्तीफा लिया गया
हालांकि तब भाजपा में ही इस मुद्दे पर दो खेमे बन गए थे. वरिष्ठ नेता व गौरतलब है कि मंजू वर्मा के इस्तीफे को लेकर बीजेपी दो खेमे में बाँट गई थी. सुशिल मोदी विरोधी खेमा मंजू वर्मा से इस्तीफे की मांग कर रहा था जबकि खुद सुशिल मोदी मंजू वर्मा का बचाव कर रहे थे. मंत्री थी मंजू वर्मा जेडीयू कोटे से लेकिन बीजेपी के नेता नैतिकता के आधार पर उनसे इस्तीफा मांग रहे थे. बीजेपी नेताओं की इस तरह की मांग के बाद अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत दबाव बढ़ गया था .आखिरकार बढ़ते दबाव के कारण मंजू वर्मा से इस्तीफा मांग लिया गया.