तेजप्रताप यादव के साथ खड़े हुए मामा साधू, कहा- तेजप्रताप के हाथ में हो पार्टी की कमान
सिटी पोस्ट लाइव : RJD सुप्रीमो लालू यादव के हाई-प्रोफाइल साले साधू सुभाष यादव को भला बिहार में कौन नहीं जानता. लालू राज में दोनों सालों की टूटी बोलती थी. पार्टी से लेकर सरकार चलाने का काम इन्हीं के जिम्मे था. लेकिन पिछले एक दशक से दोनों सालों की लालू यादव की घर और पार्टी में इंट्री बंद है. साधू यादव तो अपनी पार्टी बना चुके हैं और सुभाष यादव कारोबारी बन गए हैं. एक दशक से वनवास झेल रहे साधू यादव एकबार फिर से अपने भगिना तेजप्रताप यादव को लेकर सक्रीय हो गए हैं. साधू यादव लालू परिवार के एकलौते ऐसे सदस्य हैं, जो आज संकट की घड़ी में तेजप्रताप यादव के साथ खड़े हैं. साधू यादव एकलौते ऐसे रिश्तेदार हैं, जो तेजप्रताप के तलाक लेने के फैसले के साथ खड़े दिख रहे हैं.
जनता दरबार में एक महिला की शिकायत सूनने के बाद जब तेजप्रताप यादव ने फुलवारीशरीफ के थानेदार को फोन लगाया तो उसने शिकायत सूनने की बात तो दूर उसने तेजप्रताप यादव को पहचानने से ही इनकार कर दिया. फिर क्या था तेजप्रताप यादव अपना जनता दरबार लेकर थाने ही पहुँच गए.थाने से उन्होंने अपने मामा साधू यादव को फोन घुमाया और थाना प्रभारी द्वारा जब अपना इंसल्ट किये जाने की सूचना दी तो मामा साधू यादव अपने पुराने तेवर में आ गए. वो अपने भगीना का साथ देने सीधे थाने पहुँच गए.साधू यादव का मानना है कि तेजप्रताप यादव ही लालू यादव का विकल्प बन सकता है. लगे हाथ उन्होंने लालू यादव को तेजप्रताप यादव के हाथ में पार्टी की कमान सौंपने की सलाह दे डाली.साधू यादव ने कहा कि तेजस्वी CM बने और तेजप्रताप यादव पार्टी का राष्ट्रिय अध्यक्ष बने.
लेकिन साधू यादव अपने भगीना तेजप्रताप यादव को भी नसीहत देना नहीं भूले. उन्होंने कहा कि अगर तेजप्रताप अपनी अलग पार्टी बनाने की सोंच रहा है तो , उसे संभल जाना चाहिए. उसका हाल भी उनके जैसा ही हो सकता है. आज खुद उनकी पार्टी है लेकिन उन्हें कौन पूछता है.साधू यादव ने तेजप्रताप यादव को अपने पिता की पार्टी RJD में बने रहने की सलाह देते हुए कहा कि अलग पार्टी बनाना उसकी बड़ी भूल साबित हो सकती है.
गौरतलब है कि साधू यादव भी अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं. अपनी पार्टी से चुनाव भी लड़ चुके हैं. लेकिन आजतक उन्हें राजनीति में सफलता नहीं मिली है. हालांकि अपने राजनीतिक वनवास के लिए वो सीधे लालू यादव को ही जिम्मेवार मानते हैं. उनका आरोप है कि उनके गोपालगंज लोक सभा सीट ,जहाँ से वो रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत चुके हैं, लालू यादव ने उसे रिज़र्व करवा दिया.
अब अपने भगीना तेजप्रताप के जरिये एकबार फिर साधू यादव की राजनीति में सक्रीय भूमिका मिलने की आस जगी है. लेकिन ये संभव तो तभी होगा जब खुद तेजप्रताप यादव पार्टी में अपने लिए कोई ख़ास जगह बना पायेगें.लालू यादव तो इन्हें मौका देनेवाले नहीं क्योंकि अपनी सरकार और पार्टी की बदनामी के लिए वो अपने दोनों सालों साधू सुभाष को ही जिम्मेवार मानते हैं. लेकिन राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता. कभी भी असंभव संभव बन जाता है और सबसे आसान काम के नामुमकिन बनने में भी समय नहीं लगता.कौन जानता है कि भगीना तेजप्रताप यादव के सहारे ही मामा साधू यादव की एकबार फिर से राजनीति में चलती हो जाए.
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