बिहार में 15 फरवरी से होगा माले का महाधिवेशन.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में CPI-ML पार्टी का राष्ट्रीय महाधिवेशन बिहार में होने जा रहा है.हर पांच साल पर यह आयोजन किया जाता है.इससे पहले पार्टी का महाधिवेशन पंजाब के मानसा में हुआ था.माले का मानना है कि नरेन्द्र मोदी या बीजेपी के अश्वमेघ घोड़े को पूरी ताकत से बिहार ने रोका है. नीतीश-तेजस्वी की सरकार को माले ने इसलिए अपना समर्थन भी दिया है, जबकि माले राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है. कई मुद्दों पर माले ने महागठबंधन सरकार की नीति की तीखी आलोचना की है. शीतकालीन सत्र में माले के विधायक विधानसभा परिसर में पोस्टर के साथ प्रदर्शन करते भी दिखे.

माले का यह 11वां राष्ट्रीय महाधिवेशन 15 से 20 फरवरी को पटना के एसकेएम हॉल मे होने जा रहा है. 15 फरवरी को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में माले की बड़ी रैली होगी. 16 फरवरी को महाधिवेशन का उद्घाटन होगा. इसके लिए देश भर की विभिन्न कम्युनिस्ट पर्टियों को आमंत्रण भेजा गया है.इसमे वामपंथी आंदोलन को मजबूत करने की कार्य योजना बनायी जाएगी. 17 फरवरी को पार्टी का अंदरुनी कार्यक्रम होगा. पार्टी की रिपोर्ट पर बहस होगी.18 फरवरी को पॉलिटिकल सत्र होगा। 19 और 20 को अंदरुनी सत्र होगा.

इन कार्यक्रमों की बड़ी तैयारी माले कर रहा है. इसके लिए 24 दिसंबर और 31 दिसंबर को डेलिगेट का चुनाव किया गया. 200 सदस्यों पर एक डेलिगेट का चुनाव हुआ है. पूरे राज्य में यह चुनाव पार्टी ने कराया इसके लिए जिला सचिवों को निर्वाचन पदाधिकारी बनाया गया और राज्य सचिव को मुख्य पदाधिकारी. लोगों ने डेलिगेट चुने जाने के लिए नॉमिनेशन किया। लेकिन इसका चयन चुनाव के जरिए पार्टी ने किया. इसके जरिए माले ने पार्टी के अंदर के अंदरुनी लोकतंत्र को मजबूत भी किया. कुल 1800 डेलीगेट्स महाधिवेशन में शिरकत करेंगे.

माले नेता कड़ी यादव ने कहा कि हिंदुस्तान की साझी विरासत पर जो बड़ा खतरा है, उसके खिलाफ गांधी मैदान में रैली होगी. भाजपा और फासीवाद के खिलाफ नए आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा. इससे भाजपा के खिलाफ देश भर में जो गोलबंदी हो रही है वह ताकतवर होगी. महाधिवेशन में देश भर की विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं. इसमें फासीवाद को रोकने में वामपंथ की भूमिका तय की जाएगी. राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों पर भी चर्चा होगी. ब्राजील में लेफ्ट की जीत हुई है, पड़ोसी देश नेपाल में लेफ्ट फिर से सत्ता के केन्द्र में आया है. एशिया के अन्य देशों में भी वामपंथी आंदोलन मजबूत हो रहा है.

18 फरवरी के पॉलिटिकल सत्र में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आमंत्रण दिया जा रहा है. इन नेताओं के साथ मीटिंग कर हिंदी पट्टी में भाजपा की नफरत की राजनीति को रोकने की रणनीति बनायी जाएगी.माले ने बिहार में गांव के 20 लाख गरीब लोगों को सदस्य बनाया है। 10 लाख से ज्यादा मजदूरों को सदस्य बनाया गया है. 5 लाख छात्र-नौजवानों को सदस्य बनाया गया है. इसके अलावा 50 हजार से ज्यादा नए लोग माले के सदस्य बने हैं.

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