सिटी पोस्ट लाइव: बिहार के मधुबनी जिले में खजौली प्रखंड के सुखी स्वास्थ्य उपकेंद्र में ताला जड़ा हुआ है. साथ ही स्वास्थ्य उपकेंद्र गौशाला में तब्दील हो चुका है. सरकार और विशेषज्ञों की माने तो, कोरोना के दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर पर मंथन किया जा रहा है लेकिन सरकार की बंद पड़ी स्वास्थ्य उपकेंद्र की हालात देखकर लगता नहीं है कि सरकार तीसरी लहर से भी बचाव के लिए तैयारी कर रही है. सरकार की ओर से खजौली प्रखंड में दर्जनों स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं तथा दर्जनों की संख्या में सरकारी कर्मी नियुक्त हैं लेकिन हालात कुछ और ही है.
ऐसे में जिला एवं स्वास्थ्य प्रशासन को तत्परता दिखाते हुए कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए कड़े से कड़े कदम उठा कर स्वास्थ्य सेवाओं को गौशाला से हटाकर चिकित्सकों एवं उससे जुड़े उपकरणों को लगाना चाहिए. अब देखने की बात है कि सरकार कितना जल्द इस पर एक्शन में आते हैं और तीसरी लहर से बचाव का प्रयास करते हैं. खजौली प्रखंड में एक पीएचसी एवं 16 उपस्वास्थ्य केंद्र है. लेकिन, सभी उपस्वास्थ्य केंद्रों की हालात एक जैसे ही हैं. किसी में पशुपालन, किसी में भुसा या जलावन भरा उपस्वास्थ्य है.
संचालन कागज पर ही ज्यादा लगता है. इस पर कोई भी प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक सही से बोलने को तैयार नहीं है. जबकि, ज्यादातर कोरोना की दूसरी लहर में मरीज होम आइसोलेशन में ही हैं. यदि उपस्वास्थ्य केंद्र और पीएचसी की हालात ठीक हो तो कोरोना से जंग जीतना काफी आसान हो सकता है. ऐसे में सरकार त्वरित कार्रवाई कर व्यवस्था को सुदृढ़ एवं स्वस्थ करें.
मधुबनी से आलोक कुमार की रिपोर्ट