सिटी पोस्ट लाइव : जुली के साथ अपने प्रेम प्रसंग की वजह से देश भर में लवगुरु के नाम से मशहूर मटुकनाथ ओशो के नाम पर अप्रैल में अपने गांव में विद्यालय खोलने जा रहे हैंलवगुरु के नाम से मशहूर मटुकनाथ ओशो के नाम पर अप्रैल में अपने गांव में विद्यालय खोलने जा रहे हैं. अपनी प्रेमिका जूली से दूर हुए लवगुरु मटुकनाथ (Matuknath) अब भागलपुर (Bhagalpur) के अपने पैतृक गांव जयरामपुर में रहते हैं. अप्रैल से शुरू होने वाले इस विद्यालय का नाम ओशो अंतरराष्ट्रीय विद्यालय होगा. यहां बिहार (Bihar) के साथ-साथ देश और विदेश के छात्र-छात्राएं प्रेम की पढ़ाई (Love School) कर सकेंगे.
ओशो के नाम पर विद्यालय क्यों, इस सवाल पर मटुकनाथ हंसते हुए कहते हैं, “विश्व में एक मात्र लवगुरु ओशो हैं, उन्हीं से मैं भी प्रेम का ज्ञान प्राप्त करता हूं. मैं उनके सामने कुछ भी नही हूं लेकिन जब दुनिया मुझे भी लवगुरु कहती है तो कुछ तो आधार होगा. लेकिन मैं ओशो जैसा लवगुरु नहीं हो सकता हूं, शिष्य जरूर हो सकता हूं. इसलिए ओशो के नाम पर विद्यालय खोल रहा हूं.
मटुकनाथ से जब यह सवाल किया गया कि क्या इस विद्यालय में जूली भी रहेंगी तो इस पर वो कहते हैं अब जूली की आने की संभावना नहीं के बराबर है. क्योंकि जूली अब उनका साथ छोड़ सात समुंदर पार त्रिनिदाद में बस गई हैं. एक आश्रम में सन्यासी की भांति रहती हैं. कभी कभार उनसे फोन पर बातचीत हो जाती है. पिछले साल उन्होंने मुझे बुलाया था लेकिन अब वो भारत आना नहीं चाहती. मटुकनाथ उदासी वाले भाव में बोलते हैं कि जूली की तबियत अब ठीक नहीं है, अब वो दुनिया से पूरी तरह से दूर हो गई हैं. खुद को अकेला कर एकाकी जीवन जी रही हैं.
उनकी प्रेमिका जुली की ऐसी हालत क्यों हो गई जूली की, यह पूछने पर वो कहते हैं, इसकी शुरुआत पटना से ही हो गई थी, जब वो तथाकथित रूप से अध्यात्म की ओर चली गईं थी और इसी सब के बीच वो भारत छोड़कर त्रिनिदाद चली गई.अब कभी मटुकनाथ और जूली एक साथ नहीं हो पाएंगे, इस सवाल पर वो कहते हैं, हां अब पहले वाली बात नहीं रही. हम एक साथ नहीं रह सकते हैं, लेकिन बावजूद इसके जूली से मोबाइल पर संपर्क जरूर रहता है. हम एक-दूसरे का हालचाल पूछते रहते हैं. क्या उन्हें पीड़ा होती है जूली से दूर होने पर, इस सवाल पर मटुकनाथ कहते हैं कोई पीड़ा नहीं होती है. मैंने खुद को समझा लिया है और अब विद्यालय में खुद को पूरी तरह से झोंक दिया है.