सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पिछले कुछ दिनों से बिजली संकट बढ़ गया है. गौरतलब है कि आज की तारीख में बिहार के हर गाँव में बिजली पहुँच चुकी है. या पिछले कुछ सालो में बिजली क्षेत्र में बिहार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. सुदूर गांवों तक 20 से 22 घंटो तक बिजली की उपलब्धता रहती है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से देशव्यापी कोयले के संकट के कारण बिहार में भी बिजली की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण इलाकों में 7 से 9 घंटों तक लोड शेडिंग हो रहा है.
बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है जिसने परेशानी बढ़ गई है. जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी से बिहार को 4500 मेगावाट की जगह बिहार को सिर्फ 3000 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. बिहार खुले बाजार से 1000 हजार मेगावाट खरीद रहा है पर यह जरूरत को पूरा करने में अक्षम साबित हो रहा है. दो निजी कंपनियों से करार के अनुसार बिहार को 688 मेगावाट बिजली मिलने की बात है पर फिलहाल 347 मेगावाट ही बिजली मिल पा रही है. एनटीपीसी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में कोयले का संकट नहीं होने दिया जाएगा. बिहार में 10 दिनों का पर्याप्त कोयले की उपलब्धता है. गौरतलब है कि बिजली कंपनियों द्वारा बिहार में बिजली का उत्पादन नहीं होता बल्कि केंद्रीय बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से खरीदकर उपभोक्ताओं को दी जाती है.
बिहार के बड़े शहरों में फिलहाल बिजली की आपूर्ति तो हो रही है लेकिन सुदूर ग्रामीण इलाकों में लोड शेडिंग की समस्या गंभीर हो गई है. मुंगेर को 60 मेगावाट, बांका को 70 मेगावाट, सीमांचल में कटिहार को 80 मेगावाट, किशनगंज को 20 मेगावाट, पूर्णियां को 100 मेगावाट, अररिया को 100 मेगावाट और मुज़फ़्फ़रपुर को 70 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. कम बिजली मिलने के कारण 7 से 9 घंटो तक बिजली कट रही है.