सिटी पोस्ट लाइव : LJP के सांसद पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में पिछले 5 दिनों से LJP सांसदों की बैठक चल रही थी.लेकिन चिराग पासवान को इसकी भनक तक नहीं लगी. पार्टी के सांसद चंदन कुमार के अनुसार पांच दिन से बैठक चल रही थी. बैठक में सारे सांसदगण और कार्यकर्ता थे. बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि हमारी जो विचारधारा है और हमारे अभिभावक स्वर्गीय रामविलास पासवान की जो विचारधारा थी, उस पर ही हमें काम करना चाहिए. हम जो NDA के सांसद हैं, हमलोग NDA विचारधारा के लोगों के वोट से जीतकर सदन में आए हैं. हमलोगों ने फैसला लिया कि जिस गठबंधन के नाम पर हमें वोट मिले हम उसी गठबंधन में रहेंगे और बिहार का विकास करेंगे.
चन्दन कुमार सिंह आगे कहते हैं -NDA विचारधारा के लोगों ने वोट देकर हमें संसद भवन भेजने का काम किया है. अब NDA की जो विचारधारा है चाहे बिहार के मुख्यमंत्री विकासपुत्र नीतीश कुमार जी हों या देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी। हम उनके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, जनता की सेवा करना चाहते हैं. उसी सोच के साथ जनता ने हमें सदन में भेजने का काम किया है.आज भी हमलोगों ने कुछ ज्यादा नहीं किया है. हमलोगों ने बस इतना किया… जैसे चाहे जो भी पार्टी हो चाहे जदयू हो, बीजेपी हो, कांग्रेस हो या और भी कोई पार्टी, साल दो साल में अपना अध्यक्ष बदलता है. हमलोगों ने भी फैसला लिया और पशुपति कुमार पारस जी को अपना नया अध्यक्ष बनाने का काम किया है.
चंदन कुमार का कहना है कि चिराग जी भी पार्टी में हैं. उनको बाहर कहां निकाला गया है. हमलोग भी लोक जनशक्ति पार्टी में हैं और चिराग भी. सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष बदले हैं. हम तो स्वर्गीय रामविलास पासवान जी की विचारधारा पर काम कर रहे हैं.चन्दन कुमार की बातों से तो ये साफ पता चलता है कि चिराग ने अपने घर यानि चाचा की नाराजगी को ही लगातार नजरअंदाज किया. शायद यही वजह थी कि उन्हें बताए बगैर उन्हीं की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कुर्सी से उतार दिया गया. पिता की तरह अगर चिराग थोड़ी भी दूरदर्शिता दिखाते तो वो दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ने में चूकते नहीं. यही गलती उनपर भारी पड़ गई.चाचा के ही चक्कर में वो फंस गये हैं.