बिहार विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के बीच ‘लेटर वार’, समितियों के गठन पर ठनी

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया था कि विपक्ष विधानसभा की समितियों के लिए नाम नहीं दे रहा। उसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को परंपरा की याद दिलाई है। तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के नाम पत्र लिखा है।

बिहार विधानसभा की समितियों के गठन का मामला उलझ गया है। वजह, राजद ने अबतक समितियों के सभापति के लिए अपने विधायकों का नाम नहीं भेजा है। पत्र भेजने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने कल कहा है कि पहले स्‍पीकर समितियों के नाम बताएं, हम सभापति के नाम भेज देंगे। दरअसल, बुधवार, नौ दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अफसरों की बैठक बुलाई थी। समितियों के गठन के बारे में पूछा।

बताया गया कि आरजेडी छोड़ सभी दलों से नाम आ गए हैं। तय हुआ कि नाम भेजने के लिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को एक और पत्र लिखा जाए। उसके बाद भी नाम नहीं आता है तो विधानसभा अध्यक्ष अपने विवेक से सभापतियों के नाम तय कर देंगे। ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में है। सदस्य संख्या के हिसाब से आरजेडी को पांच या छह समितियों का सभापतित्व मिल सकता है। पिछली विधानसभा में आरजेडी कोटे के सभापतियों की संख्या छह थी।

वहीं अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष आरजेडी को दी जाने वाली समितियों का नाम भेजें। उसके बाद आरजेडी इन समितियों के सभापति पद के लिए अपने विधायकों का नाम भेजेगा। तेजस्वी यादव ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष के नाम लिखे पत्र में कहा कि उनके कार्यालय से बार-बार आरजेडी को दी जाने वाली समितियों का नाम मांगा जा रहा है। अबतक नाम नहीं मिल सका है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि परम्परा यही रही है। पहले समितियों के नाम आते हैं। उसके बाद संबंधित दल अपने सदस्यों के अनुभव और क्षेत्र के लिहाज से उनका नाम सभापति पद के लिए प्रस्तावित करते हैं। तेजस्वी ने लिखा-समितियों का नाम भेजने की कृपा करें। आरजेडी अतिशीघ्र सभापतियों का नाम भेज देगा।

गौरतलब है कि विधानसभा की समितियों का सभापति पद सभी दलों के विधायकों को दिया जाता है। इसके लिए दलों से नाम मांगने की परम्परा है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष चाहें तो अपने स्तर से भी सभापति का नाम तय कर सकते हैं।

विधानसभा की कुल समितियों की संख्या 25 है। आम तौर पर तीन-विशेषाधिकार, सामान्य प्रयोजन और नियम समितियों का सभापतित्व विधानसभा अध्यक्ष ही करते हैं। महत्वपूर्ण कार्य मंत्रणा समिति में सीएम, विपक्ष के नेता और दलों के विधायक दल नेता सदस्य रहते हैं। कानून नहीं है, लेकिन लोकलेखा समिति का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। बाकी 22 समितियों के सभापति विधायक होते हैं।

सूत्रों ने बताया कि समितियों के गठन न होने से विधानसभा का कामकाज प्रभावित हो रहा है। सदन का सत्र न चल रहा हो, उस समय ये समितियां मिनी विधानसभा का काम करती हैं। सभी विधायक एक या अधिक समितियों के सदस्य होते हैं।

इनकी बैठकों में शामिल होने के लिए विधायकों से क्षेत्र से पटना आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता मिलता है। विधानसभा में सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन कार्यान्वित हुए या नहीं, समिति की बैठकों में इसकी भी समीक्षा होती है।

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