एकला चलो की राह पर हैं उपेन्द्र कुशवाहा! महागठबंधन की इनसाइड स्टोरी
सिटी पोस्ट लाइवः रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा बिहार में महागठबंधन के पहले नेता हैं जो लोकसभा चुनाव की हार के सदमे से सबसे पहले उबरे और दुबारा एक्टिव हुए। कुशवाहा जिस राजनीति खेमे से ताल्लकुल रखते हैं राजद उस खेमे की सबसे बड़ी पार्टी है। राजद के कर्ता-धर्ता तेजस्वी यादव जब अज्ञातवास पर थे तब उपेन्द्र कुशवाहा न सिर्फ फुल एक्शन में थे बल्कि अपने पुराने फार्म में वापस लौट चुके थे और नीतीश कुमार पर आक्रामक थे। तेजस्वी की गैर मौजूदगी में उपेन्द्र कुशवाहा न सिर्फ नीतीश विरोध की मुखर आवाज बने हुए थे बल्कि कुछ विकल्प खुले रखने की रणनीति पर भी काम करते दिखायी दे रहे थे। इसलिए उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर यह कयास हैं कि वो एकला चलो की राह पर हैं और शायद महागठबंधन में होते हुए भी अकेले नीतीश कुमार के खिलाफ विरोध का मोर्चा संभाल रहे हैं। चमकी बुखार को लेकर नीतीश के इस्तीफे की मांग पर अड़े और मुजफ्फरपुर से लेकर पटना तक पैदल मार्च किया। पूरा विपक्ष जब सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय दोनों का इस्तीफा मांग रहा था तब उपेन्द्र कुशवाहा मंगल पांडेय का बचाव कर रहे थे और नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
पटना में जब उन्होंने अपनी नीतीश भगाओ भविष्य बचाओ पदयात्रा का एलान किया तो उसी प्रेस काॅन्फ्रेंस में यह भी कहा कि नीतीश कुमार मासूमों की मौत का ठीकरा मंगल पांडेय के सर फोड़ना चाहते हैं और यह मैसेज देना चाहते हैं कि बुखार से बच्चों की मौत हुई तो सीएम ने तुरंत कार्रवाई कर दी। उन्होंने कहा था कि बच्चों की मौत के लिए सिर्फ नीतीश जिम्मेवार हैं और उन्हें हीं इस्तीफा देना होगा। जाहिर है मंगल पांडेय को लेकर उनका साॅफ्ट होना हीं यह बताता है कि वो किसी अलग रणनीति पर काम करना चाहते हैं और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सभी विकल्प खुले रखना चाहते हैं।
दरअसल तेजस्वी यादव के कथित अज्ञातवास ने महागठबंधन को जो नुकसान पहुंचाया है उसमें सबसे बड़ा नुकसान यही है कि उनकी गैरमौजूदगी में उपेन्द्र कुशवाहा सरीखे महागठबंधन के नेता ने अलग राह ले ली और अब भी एकला चलो की राह पर है। सियासत में वे नीतीश विरोध के जिस फार्मूले पर काम कर रहे थे अब भी उसी पर काम कर रहे हैं लेकिन अकेले।
Comments are closed.