मांगों के समर्थन में सीपीआई के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने सोमवार को सामूहिक उपवास रखा
सिटी पोस्ट लाइव : बेगूसराय में विभिन्न मांगों के समर्थन में सीपीआई के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने सोमवार को सामूहिक उपवास रखा। लॉक डाउन कायम रखते हुए सामाजिक दूरी का पालन कर मुख्यालय स्थित जिला पार्टी कार्यालय में 2 घंटे के उपवास के दौरान कार्यकर्ताओं ने अपने अपने हाथों में खाली थाली लेकर विभिन्न स्लोगन के साथ बैठ कर इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान पूर्व विधायक अवधेश राय ने बताया कि संपूर्ण जिला के पंचायतों में आज सामूहिक उपवास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति और सहायता को लेकर बिहार सरकार जो बातें की है उसमें खामियां हैं ।
उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि केरल की भांति और उसी राज्य के सुविधा अनुसार ही बिहार के गरीबों के लिए सुविधा मुहैया होनी चाहिए। उन्होंने राशन कार्ड की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि लगभग 40% आबादी का नाम राशन कार्ड में जुड़ा हुआ नहीं है जिस कारण लोग आपूर्ति से वंचित है । उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि आधार कार्ड के आधार पर ही राशन वितरण की जानी चाहिए ताकि हर गरीब को खाना मिल सके ।उन्होंने गैस वितरण को भी उज्ज्वला योजना की तरह देश के सभी लोगों को देने की मांग किया है।
कोरोना वायरस से लड़ाई में अपनी एकजुटता दिखाते हुए कहा कि इस लड़ाई में हम सब एक साथ हैं लेकिन खेती को आवश्यक कार्य बताते हुए कहा पैदावार अनाज को समेटने के लिए मजदूरों का अधिकार छीन गई है। सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श करना चाहिए ।उन्होंने बताया कि इन्हीं मांगों को लेकर आज हम सभी संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जयंती अवसर पर 2 घंटे का सामूहिक उपवास कर रहे हैं।वही सीपीआई के जिला सचिव मंडल सदस्य अनिल कुमार अंजान ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर आज पूरा देश त्रस्त है ।
भारत में भी इसका असर है जिस कारण यहां भी लॉक डाउन लगा हुआ है इसलिए हम सभी शारीरिक दूरी कायम रखते हुए बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर विभिन्न मांगों को लेकर जिला कार्यालय के प्रांगण में सामूहिक भूख हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना एक रोग है ,यह ना जाती ,ना धर्म, ना अमीरी, ना गरीबी और ना संप्रदाय देख रहा है ।उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस को जाति और संप्रदाय के नजरिए से देखा जा रहा है। सत्तारूढ़ पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि एक ओर कोरोना को मजहब, संप्रदाय और जमात से जोड़ा जा रहा है तो दूसरी तरफ समाजिक दूरी बताया जा रहा है उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह जातीय भेदभाव पैदा करने वाला शब्द है इसलिए सामाजिक दूरी के बजाय शारीरिक दूरी जैसे भाषा का प्रयोग होना चाहिए।
अंजान ने कहा कि छुआछूत के खिलाफ संघर्ष करने वाले संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के बाद एक बार फिर से कोरोना के बहाने जाति और संप्रदाय का राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए आज बाबासाहेब की जयंती अवसर पर इस दिन को चयन किया गया है। उन्होंने मजदूरों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि सरकार को उनके प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए ।उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इस महामारी जैसी स्थिति में समय रहते सरकार मजदूरों के प्रति गंभीर नहीं हुई तो भविष्य में विधि व्यवस्था बिगड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता ।