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झारखंड में कानून-व्यवस्था की मशीनरी फेल: रघुवर दास

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सिटी पोस्ट लाइव, जमशेदपुर: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि झारखंड में कानून और व्यवस्था की मशीनरी फेल हो गई है। उन्होंने कानून व्यवस्था को रेखांकित करते हुए कहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था बद से बदतर हो गयी है। लोग अपने ही राज्य में स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सवाल यह है कि जिस राज्य का मुख्यमंत्री ही स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा हो और जान से मारने की धमकी देने वाला शख्स पुलिस की पकड़ से बाहर हो, ऐसी मजबूरी में प्रशासन को मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी करनी पड़े तो इससे अधिक चिंता का विषय क्या हो सकता है? दास ने मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बरहेट में पिछले माह एक युवा व्यवसायी अरूण शाह की अपहरण कर गोली मारकर हत्या करने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस घटना से अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस हत्याकांड के आरोपी की तलाश में पहुंची बरहेट थाने की पुलिस जीप पर अपराधियों ने हमला बोल दिया। इस हमले में बरहेट के थानेदार हरीक पाठक, जमादार सोरेन को गंभीर चोट आयी, जिसमें विगत 19 जुलाई को सोरेन की इलाज के दौरान मृत्यु भी हो गई।

एक माह बीत जाने के बावजूद अब तक अपहरणकर्ताओं का कोई अता-पता नहीं चल सका है। पूर्व मुख्यमंत्री ने साहेबगंज की एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि यहां सिदो-कान्हू के वशंज रामेश्वर मुर्मू की अपराधियों ने 12 जून को नृशंस हत्या कर दी, लेकिन अभी तक दोषियों का कोई सुराग पुलिस को नहीं मिला है। अमर शहीद सिदो-कान्हू के परिवार वाले रामेश्वर के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है और नींद में विभोर सरकार को रामेश्वर मुर्मू के घर भी जाने की फुर्सत नहीं है। दास ने कहा कि राज्य में हालात इतने खराब हो गये हैं कि शहीद सिदो-कान्हू के वंशज को पुलिस पर भरोसा नहीं रहा और हाल में मुख्यमंत्री से राज्य सचिवालय में मुलाकात कर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की है, लेकिन अब तक सरकार इस मामले में भी मौन साधे है।

उन्होंने कहा कि सरकार नक्सली उपद्रवियों से निपटने में भी असफल साबित हुई है। पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल में राज्य में नक्सलवाद लगभग समाप्ति की ओर था और सभी बड़े नक्सलियों ने या तो आत्मसमर्पण कर दिया था अथवा वह मारे गये थे। भाजपा शासन के कई वर्षों तक राज्य में नक्सली वारदात लगभग शून्य हो गये थे। लेकिन आज राज्य के हर इलाके में नक्सली गतिविधियां फिर से बढ़ गई है। अपराधी सभी स्थानों पर सिर उठाने लगे हैं और सभी प्रकार के अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। दास ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री के हाथ में प्रशासन की कमान है ही नहीं क्योंकि वह कहते कुछ हैं और होता कुछ और है। राज्य सरकार के गठबंधन सहयोगी दल के मंत्री, नेता मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं। हाल में रिम्स में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में न्यायिक हिरासत में कैद लालू प्रसाद की चल रही गोष्ठी और फोन पर बातचीत, जो अखबार में बड़े-बड़े अक्षरों में छपा था, का उदाहरण देते हुए श्री दास ने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि झारखंड के वर्तमान शासन में कानून व्यवस्था मजाक बन कर रह गई है। उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य में कोरोना से संक्रमित मरीजों और इसके संक्रमण से होने वाली मौतें भी संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है वहीं राज्य सरकार तेजी से बढ़ रहे मरीजों की इलाज के लिए अस्पतालों में अधिक बेड की व्यवस्था करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसे प्रशासन और सरकार में आम जनता की सुरक्षा, स्वास्थ और कल्याण की क्या उम्मीद करना व्यर्थ है। उन्होंने सरकार को सचेत किया कि वह यथाशीघ्र अपनी कार्य संस्कृति में बदलाव लाये अन्यथा जनता कभी माफ नहीं करेगी।

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