अब बजरंगबली को मनायेगें लालू, तिवारी बोले- पार्टी में कम्यूनिकेशन गैप!
सिटी पोस्ट लाइव : आरजेडी के अन्दर जबर्दश्त कम्यूनिकेशन गैप है.RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव से पार्टी के नेता खफा हैं.उनकी नाराजगी की वजह उनकी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए अनुपलब्धता है. जगदानंद की नीतियों से खफा होकर RJD के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ने लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखकर पार्टी के अंदर मचे घमाशान को उजागर कर दिया है.RJD दो खेमों में विभाजित नजर आ रही है.रघुवंश प्रसाद की चिट्ठी ने पार्टी की एकता और एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है. रघुवंश सिंह के समर्थन में खुलकर सामने आए शिवानन्द तिवारी (Shivanand Tiwary) ने भी माना कि पार्टी में कम्यूनिकेशन गैप है.
शिवानन्द तिवारी ने कहा है कि पार्टी के अंदर बहुत कम्यूनिकेशन गैप है.उनका कहना है कि इसी वजह से पार्टी के एक सबसे बड़े नेता को पत्र लिखकर अपनी बात रखनी पड़ रही है. दरअसल, पार्टी के दो सबसे बड़े नेता (रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह) जिनकी पहचान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के हनुमान और संकटमोचक के तौर पर होती रही है. आज वो एक-दूसरे की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं, लालू के बेहद करीबी शिवानन्द तिवारी के एक बयान ने पार्टी के भीतर की कमजोरियों को उजागर कर दिया है.
शिवानन्द तिवारी ने कहा कि रघुवंश प्रसाद की चिट्ठी में ऐसा कुछ भी गलत नहीं लिखा है, जिसका विरोध किया जाए. पार्टी के भीतर लोकतंत्र है रघुवंश प्रसाद ने पार्टी के हितों के बारे में ही लिखा है. शिवानन्द तिवारी ने इस अनुशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी में अनुशासन तो ठीक है, लेकिन ऐसा भी न हो कि पार्टी के भीतर के लोकतंत्र का गला ही घुंट जाए. उन्होंने कहा रघुवंश बाबू जैसे नेता इसका शुरू से विरोध भी करते रहे हैं.
राजद के सीनियर नेता और लालू के करीबी शिवानंद तिवारी रघुवंश प्रसाद सिंह की मांग के समर्थन में उतर आए हैं.शिवानंद तिवारी ये भी मानते हैं कि दोनों नेताओं के बीच विचारधारा का फर्क जरूर है, लेकिन दोनों पार्टी और लालू जी के मजबूत स्तंभ हैं. जब दोनों एकसाथ बैठेंगे तो यकीनन सारी कटुता मिट जाएगी. उन्होंने कहा कि इन दोनों महारथियों को समझाने वाला लालू यादव के अलावा और कोई नहीं है. ये दोनों रांची जाकर लालू जी सामने दोनों एकबार बैठ जाएं तो 2 मिनट में सब ठीक हो जाएगा. ये दोनों पार्टी के पिलर हैं और ये दोनों पार्टी के हित में ही शुरू से काम करते रहे हैं. लालू से बेहतर इनदोनों को कोई नहीं समझ सकता. आखिर ये दोनों लालू के जिगरी भी तो हैं.
जगदानन्द सिंह ने जब से पार्टी की कमान संभाली है लालू की पार्टी बहुत हद तक अनुशासित हो गई है, लेकिन जिस कड़ाई से वे पार्टी में अनुशासन ला रहे हैं, इसका अब बड़े नेता खुलकर विरोध भी करने लगे हैं. रघुवंश सिंह ने चिट्ठी में लिखा, ‘क्या अब तक कमेटी नहीं बननी चाहिए थी? क्या संगठन बिना संघर्ष और संघर्ष बिना संगठन के मजबूत किया जा सकता है? सबसे बड़ा जनाधार और सबसे बड़ी फौज वाली पार्टी का संगठन बहुत जल्द बनाकर क्या हमें चुनाव की तैयारी में नहीं लग जाना चाहिए?’