अब लैब टेक्निशियंस क्यों हड़ताल पर जाने की दे रहे धमकी, क्या है उनकी मांग

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : साल 2020 सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश के लिए सबसे बुरा साल साबित हो रहा है. कोरोना महामारी लगातार अपने पैर पसारने में लगा है. जहां पहले 100 या 200 कोरोना पॉजिटिव मिलते थे वो आज सैकड़ों में हो चुका है. ऐसी परिस्थिति में अस्पताल से लेकर शासन-प्रशासन सबकी नींद हराम हो रखी है. जहां अस्पतालों में बेड नहीं है तो वहीं वहीं बाजार में दवाई नहीं है. हालात ऐसे हो चुके हैं कि जो डॉक्टर मरीजों का इलाज करते थे, जो लैब टेक्निशियंस कोरोना जांच करते थे, वे भी अब लगातार इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में अब उनके मन में भय तो घर कर गया है. साथ ही वे इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को दोषी बता रहे हैं. इतना ही नहीं इस कोरोना काल में अब उन्होंने हड़ताल पर जाने की धमकी तक दे दी है.

दरअसल राज्य के 678 लैब टेक्निशियंस जो कि संविदा पर 10 वर्षों से अस्पतालों में कार्यरत हैं. इनका आरोप है कि बीएसएससी के द्वारा लिए गए काउंसिलिंग के 5 साल बाद भी अबतक सेवा स्थायी नहीं हो सकी है. स्थायी करने की मांग को लेकर ही अब हड़ताल की तैयारी की जा रही है. आयोग ने वर्ष 2015 में ही 1772 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था. जिसकी काउंसिलिंग वर्ष 2016 में हुई, लेकिन लापरवाही ऐसी कि रिजल्ट आते आते 5 साल लग गए और जब रिजल्ट 2020 में जारी किया गया तो 3 माह से  साक्षात्कार नहीं लिया गया.

उनकी मांग है कि 31 जुलाई तक साक्षात्कार नहीं लिया जाता और मेधा सूची जारी नहीं होती है तो 1 अगस्त से राज्य भर के लैब टेक्निशियंस हड़ताल पर चले जायेंगे. वहीं लैब टेक्निशियंस ने आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर मेधा सूची जारी करने से आयोग पीछे हट रहा है. इन्हीं लैब टेक्निशियंस के सहारे अस्पतालों में कोरोना का सैम्पल लिया जा रहा है और यही सैम्पल जांच भी कर रहे हैं. अबतक 30 से ज्यादा कर्मी कोरोना पॉजिटिव भी हुए हैं. साथ ही दो की कोरोना की वजह से जान भी चली गयी. ऐसे में हम जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं. फिर भी  न तो जॉब सिक्यूरिटी है और न ही बीमा. ऐसे में जबतक सेवा स्थायी नहीं होती बिहार में लैब टेक्निशियंस 1 अगस्त से हड़ताल पर रहेंगें.

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