कुशवाहा पॉलिटिक्स : RJD के आलोक मेहता ने कहा- नीतीश नहीं, लालू ने दी है कुशवाहा समाज को पहचान
सिटी पोस्ट लाइव :आगामी लोक सभा चुनाव को देखते हुए बिहार में जातीय गोलबंदी में राजनीतिक दल जी-जान से जुटे हुए हैं. सभी पार्टियों का जातीय समीकरण पहले से बना हुआ है. लेकिन हाल के दिनों में उपेन्द्र कुशवाहा की वजह से कुशवाहा वोट बैंक को लेकर सबसे ज्यादा राजनीतिक घम्शान छिड़ा हुआ है. उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच जब से कुशवाहा समाज के वोट बैंक की दावेदारी को लेकर जबसे घमाशान शुरू हुआ है, सभी दलों की सक्रियता कुशवाहा को साथ में लेने की होड़ मची है. नीतीश कुमार के द्वारा रविवार को कुशवाहा समाज के नेताओं और लोगों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सियासत तेज हो गई है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपने दल के सबसे बड़े कुशवाहा नेता आलोक मेहता को मोर्चा पर लगा दिया है.
आरजेडी के बड़े कुशवाहा नेता जो अपनी जाति बताने से हमेशा परहेज करते रहे हैं, उन्हें तेजस्वी यादव ने कुशवाहा समाज को अपने पक्ष में गोलबंद करने के काम में लगा दिया है. सोमवार को आरजेडी लीडर व पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने नीतीश कुमार पर ‘लिखो-फेंको ‘ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार को कुशवाहा समाज की चिंता चुनाव से पहले होने लगी है.उन्होंने कहा कि कुशवाहा समाज के लोगों के साथ बैठक सीएम नीतीश कुमार के लिखो-फेंको नीति का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि कुशवाहा समाज एक मेहनती, ईमानदार, स्वाभिमानी और संघर्षशील वर्ग रहा है. इतना ही नहीं, यह समाज शुरू से ही शोषण के खिलाफ लड़ता रहा है. समाज के लोगों को जातीय पाठ पढ़ाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है.
आलोक मेहता ने कहा कि आरजेडी के लालू यादव ने 1990 के बाद समाज के पिछली पंक्ति के लोगों को आगे लाने का काम किया है. उन्होंने सीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार तो सामाजिक न्याय के खिलाफ खड़े लोगों के साथ हैं. वे जगदेव बाबू के हत्यारों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार बताएं कि आखिर कुशवाहा समाज क्यों जेडीयू के साथ जाए. लालू यादव ने तो विधानसभा चुनाव में कुशवाहा समाज के 19 लोगों को टिकट दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने शासन काल में कुशवाहा समाज 11 विधायकों को मंत्री बनाया था.
पूर्व मंत्री व आरजेडी के वरीय नेता आलोक मेहता ने कहा कि लालू यादव ने अपने शासन में कुशवाहा समाज के लिए बहुत काम किया. नीतीश कुमार के लालू यादव के साथ आने पर कुशवाहा समाज खुश हुआ था और महागठबंधन को खुलकर वोट दिया था.लेकिन नीतीश कुमार ने चोर दरवाजे से सत्ता में बैठ गये और महागठबंधन को धोखा दिया. इससे कुशवाहा समाज ही नहीं, बल्कि दलित समाज भी नीतीश कुमार से नाराज है. और, इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भुगतना होगा.