कश्मीरी अलगाववादियों की सरकारी मेहमाननवाजी ख़त्म, हर साल 100 करोड़ का था पॅकेज
सिटी पोस्ट लाइव : VVIP की तरह सरकारी खर्चा पर मौज-मस्ती का जीवन का आनंद उठा रहे भारत के खिलाफ आग उगलने वाले कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की अब शामत आ गई है.अब केंद्र सरकार ने उनको दी जानेवाली सुरक्षा और तमाम सुविधाएं छीन ली है.गौरतलब है पाकिस्तान की खुलकर वकालत करने वाले अलगाववादी नेताओं को केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकार की तरफ से अब तक पानी की तरह पैसे बहाए जाते रहे हैं.
चाहे फारुख अब्दुल्ला हों या उमर अब्दुल्ला या कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद, या फिर महबूबा मुफ्ती की सरकार हो,सबके कार्यकाल में कश्मीर के अलगाववादी भरपूर सुविधाओं का मजा लेते रहे हैं. पुलवामा हमले के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने इसे खत्म कर दिया है. सरकार की ओर सेअलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा वापस ले ली गई है. ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी अब सरकारी मेहमान से सरकारी दुश्मन करार दे दिए गए हैं.
जम्मू-कश्मीर सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2010 से ही अलगाववादियों के होटल बिल पर सरकार हर साल 4 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. अबतक राज्य सरकार इन्हें पॉलिटिकल एक्टिविस्ट यानि राजनीतिक कार्यकर्ता मानती थी और उनके लिए अकेले घाटी में ही 500 होटल के कमरे की व्यवस्था की जाती थी. अबतक यहीं दलील दी जाती रही है कि उनकी सुरक्षा के लिए ये जरूरी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गाड़ियों के डीजल के नाम पर अबतक करोड़ों रुपए फूंके गए. कड़ी सुरक्षा के बावजूद वो घूमने के इतने शौकीन हैं कि हर साल औसतन 5.2 करोड़ रुपए का डीजल खर्च कर रहे हैं. 2010 से 2016 तक ही 26.43 करोड़ सरकारी रकम ईंधन में बह चुकी थी.
राज्य सरकार की रिपोर्ट बताती है कि अलगाववादियों पर सालाना 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है. इसमें उनकी सुरक्षा पर केंद्र सरकार की रकम भी शामिल है. बता दें कि कश्मीर के अलगाववादियों पर हो रहे खर्च का ज्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार उठाती रही है. 90 फीसदी हिस्सा केंद्र तो जम्मू-कश्मीर सरकार सिर्फ 10 फीसदी खर्चा ही उठाती थी.
पिछले सात साल मे करीब 400 करोड़ से अधिक राशि तो सिर्फ अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में लगे जवानों पर खर्च किए गए. साल 2010 से 2016 तक 150 करोड़ रुपए PSO यानि निजी सुरक्षा गार्ड के वेतन पर खर्च हुए थे. 2010 से लेकर 2016 तक इन अलगाववादियों पर 506 करोड़ का खर्चा आया था. अब पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू- कश्मीर प्रशासन ने इन अलगाववादियों का सरकारी हनीमून पैकेज खत्म कर दिया है.