उपचुनाव में नहीं दिखा कन्हैया इफैक्ट, कहीं लड़ाई में नहीं है कांग्रेस

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा की दो सीटों के लिए होनेवाले उप-चुनाव को लेकर महागठबंधन में घमशान मच गया.कांग्रेस और आरजेडी की वर्षों पुरानी दोस्ती टूट गई. दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ अपना अपना उम्मीदवार उतार दिया.फिर कन्हैया कुमार, जिग्नेश और हार्दिक पटेल के नाम पर कांग्रेस ने हवा बनाने की कोशिश की. ऐसा माना जा रहा था कि ये तीन युवा  नेता बिहार उपचुनाव की हवा बदल देंगे. RJD के होश ठिकाने लगा देंगे. लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ.

उपचुनाव के कुछ समय पहले ही कन्हैया CPI से कांग्रेस में शामिल हुए थे. कांग्रेस कार्यालय सदाकत आश्रम में कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल के साथ पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत भी हुआ. कन्हैया कुमार का भाषण भी कांग्रेस के बाकी वरिष्ठ नेताओं से काफी अच्छा रहा. लेकिन, चुनाव प्रचार के दरम्यान अनिल शर्मा जैसे नेता अपने राजनीतिक बयानों से ज्यादा सुर्खियों में रहे.कन्हैया कुमार ने तारापुर और कुशेश्वर स्थान दोनों जगह चुनाव प्रचार तो किया पर कहीं से भी खबर राष्ट्रीय स्तर या प्रदेश स्तर की भी नहीं बन पाई.

दूसरी तरफ लालू प्रसाद ने पटना रवाना होने से पहले ही अपने पॉलिटिकल बयानों से सुर्खियां बटोर लीं. कन्हैया कुमार कांग्रेस के लिए बिहार उपचुनाव में कोई हवा नहीं बना पाए.अब तक की स्थिति के अनुसार तारापुर में कांग्रेस लड़ाई से बाहर है. कुशेश्वरस्थान में भी उसके जीतने की कोई संभावना नहीं है. यहाँ भी लड़ाई आरजेडी और जेडीयू के बीच है.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं कि कन्हैया कुमार, पप्पू यादव के आने का फायदा कांग्रेस को उपचुनाव में मिल रहा है. इसका असर वोटिंग पर पड़ना निश्चित है.

लेकिन RJD के नेताओं का कहना है कि कन्हैया से कांग्रेस को जो लाभ हो पर चुनावी स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. कांग्रेस को अच्छा ओरेटर भले मिल गया है, पर कन्हैया के आने का असर उपचुनाव की राजनीति पर नहीं पड़ा है. जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने का असर NDA पर नहीं पड़ा है, इसका असर तो महागठबंधन पर पड़ गया. उनकी एंट्री के बाद महागठबंधन में तल्खी बढ़ी है.

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