सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को उम्मीदों से बहुत कम सीटें हासिल हुई. जिस वजह से NDA में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई. हालंकि जदयू के लिए ये बड़ी समस्या नहीं है, समस्या ये है कि आखिर बिहार में उनका जनाधार कम कैसे हो गया. जिसके लिए पार्टी लगातार मंथन कर रही है. बता दें अब जदयू ने पार्टी से ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है, जो या तो पार्टी विरोधी हैं, या जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हरवाने का काम किया है. पार्टी के रडार पर जदयू के कई जिलाध्यक्ष हैं, जिनकी कुर्सी खतरे में हैं.
सूत्रों के हवाले से को ख़बर है की JDU संगठन के हिसाब से 51 जिले हैं, जिसमें से लगभग तीन दर्जन से ज़्यादा जिलाध्यक्षों पर कार्रवाई होगी और उनसे जिलाध्यक्ष की कुर्सी ले ली जाएगी. दरअसल, चुनाव परिणाम के बाद से ही JDU का शीर्ष नेतृत्व लगातार फीडबैक ले रहा था और जो फीडबैक आया है उसके मुताबिक बड़े पैमाने पर जिलाध्यक्षों की भूमिका संदेह के घेरे में है. चुनाव से पहले जमीनी हकीकत क्या है, इसका आंकलन समय रहते पार्टी को नहीं दिया गया. साथ ही जिलाध्यक्षों की निष्ठा भी पार्टी के प्रति ईमानदार नहीं दिखी थी. रिपोर्ट में इन सब बातों के सामने आने के बाद से ही JDU बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है.