सीट बटवारा होने के बाद 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया है जेडीयू

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सीट बटवारा होने के बाद 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया है जेडीयू

सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी के बराबर लोक सभा सीटों पर जेडीयू का इसबार चुनाव लड़ने का मतलब एकबार फिर से नीतीश कुमार की बिहार की राजनीति में मजबूती के साथ वापसी है. सीटों के बटवारे में जो सफलता जेडीयू को मिली है, उससे नीतीश कुमार का कद बहुत बढ़ गया है. ये बात साफ़ हो गई है कि बीजेपी को इस बात का अहसास है कि नीतीश कुमार को अलग कर या फिर नजर-अंदाज कर वह बिहार की राजनीति में नहीं टिक सकती. बराबर बराबर सीटों पर बीजेपी-जेडीयू का चुनाव लड़ना तो तय हो गया है .लेकिन कौन सीट पर कौन लडेगा अभीतक तक तय नहीं हुआ है.

जेडीयू की  आधी सीटों पर दावेदारी से बीजेपी के वर्तमान सांसदों की धुकधुकी इस बात को लेकर बढ़ गई है कि किसकी सीट जेडीयू के कोटे में जाएगा. वर्तमान में बीजेपी के 22 सांसद हैं .इनमे से 6 सांसदों का पैदल होना तय है. बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद का टिकेट तो कट ही चूका है . हुकुमदेव नारायण यादव का राजनीति से संन्यास तय है और भोला सिंह के निधन से बेगूसराय सीट भी खाली हो चूका है. यानी चार सीटें तो खाली है लेकिन बाकी कौन से दो सांसद पैदल होगें, इसबात को लेकर बीजेपी सांसदों की चिंता बढ़ी हुई है. बीजेपी के कम से कम दो सिटिंग सांसदों का टिकेट तो इसबार कटेगा ही साथ ही कई सांसदों की सीट भी जेडीयू से गठबंधन के बाद बदल जायेगी. कौन सी सीट जेडीयू के खाते में जायेगी ,इस बात को लेकर बीजेपी के सिटिंग सांसदों की चिंता बढ़ी हुई है.

सूत्रों के अनुसार बीजेपी और जेडीयू के बीच  सीटों का बटवारा  2004 और 2009 के चुनाव में मिले वोटों के आधार पर होगा. 2004 में जेडीयू  24 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन उसे केवल 6 सीटों पर सफलता मिली थी. 2009 में 25 सीटों पर चुनाव जेडीयू लड़ा था और उसे 20 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी 2004 में 16 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे  5 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि 2009 में 15 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़कर 12 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी.

यह भी गौरतलब है कि जेडीयू और बीजेपी को सबसे बड़ी सफलता 2009 के चुनाव में मिली थी. दोनों ने 32 सीटों पर कब्‍जा जमा लिया था .लेकिन इन   पांच वर्षों में बिहार का राजनीतिक समीकरण काफी तेजी से बदला है. 2014 में बीजेपी नये गठबंधन के साथ मैदान में उतरी और 40 में 31 सीटों पर कब्‍जा जमाने में कामयाब रही. जबकि चुनाव में अकेले उतरे जेडीयू को मात्र नालंदा और पूर्णिया सीट पर जीत हासिल हुई . सुपौल, मधेपुरा और मुंगेर में जेडीयू  दूसरे स्‍थान पर रहा. सूत्रों के अनुसार इसबार  दोनों पार्टियां 2009 को आधार मानकर सीटों के बंटवारे का फार्मूला तय करेंगे. इसके साथ 2004 और 2009 की हार-जीत को भी इसका आधार माना जा सकता है.

ऐसा माना जा रहा है कि जेडीयू वाल्‍मीकिनगर, झंझारपुर, सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, दरभंगा, वैशाली, महाराजगंज, गोपालगंज, समस्‍तीपुर, बांका, नालंदा, पटना साहिब, आरा, काराकाट, जहानाबाद, जमुई और मुंगेर सीट से जेडीयू लडेगा. नालंदा, पूर्णिया, दरभंगा और मुंगेर सीट पर तो जेडीयू का दावा पहले से ही है. पटना साहिब सीट पर भी जेडीयू दावा कर सकता है. पटना जिले की एक सीट पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव बीजेपी के सांसद हैं. इसलिए दूसरी सीट पटना साहिब पर जेडीयू दावा कर सकता है. मौजूदा सांसद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा की बीजेपी  से विदाई तय है. माना जा रहा है कि रामविलास पासवान इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. वैसी स्थिति में चिराग पासवान जमुई के बजाये हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. जमुई सीट से  अशोक चौधरी जेडीयू के उम्‍मीदवार बन सकते हैं.

शाहाबाद की चार लोकसभा सीटों में से एक आरा पर जेडीयू अपनी दावेदारी कर सकता है. यदि उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट सीट को छोड़ा तो उस पर भी जेडीयू दावा कर सकता है. रामचंद्र पासवान समस्‍तीपुर के बदले गोपालगंज जाना चाहते हैं. वैसी स्थिति में जेडीयू समस्‍तीपुर सीट भी मांग सकता है. मधेपुरा की सीट पर भी जेडीयू  दावा कर सकता है.

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