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सीएबी का समर्थन कर फंस गयी है जेडीयू! बड़े नेताओं की असहमति का असर समझिए

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सीएबी का समर्थन कर फंस गयी है जेडीयू! बड़े नेताओं की असहमति का असर समझिए

सिटी पोस्ट लाइवः जेडीयू ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी का समर्थन किया है। यह समर्थन इसलिए हैरान करता है क्योंकि बीजेपी के साथ रहते हुए भी जेडीयू जिन मुद्दों पर खुलकर बीजेपी की मुखालफत कर रही थी उसमें एनआरसी भी था। लेकिन तीन तलाक और धारा 370 पर जिस तरह से पार्टी का रूख नरम हुए एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल को लेकर भी पार्टी के तेवर अचानक नरम हो गये। जेडीयू सांसद और नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता माने जाने वाले ललन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल पर समर्थन का एलान किया। ललन सिंह के बयान के बाद जेडीयू के अंदरखाने महाभारत छिड़ी है। पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी के फैसले को पार्टी के संविधान के विपरीत बताया उसके बाद जेडीयू के दो और बड़े नेताओं ने पार्टी के फैसले पर असहमति जतायी। वो दो नेता हैं पवन वर्मा और एनके सिंह।

पवन वर्मा ने तो नीतीश कुमार से इस फैसले पर पुर्नविचार की भी मांग कर दी। सवाल है कि क्या जेडीयू एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर फंस गयी है क्योंकि अगर इसे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से जेाड़कर देखें तो ऐसा लगता है अगर पीके और पवन वर्मा की नाराजगी बढ़ी तो नुकसान हो सकता है क्योंकि प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जेडीयू के दो ऐसे नेता हैं जिन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। जेडीयू एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी ने भी पार्टी के फैसले का विरोध किया है और नीतीश कुमार से इस फैसले पर गंभीरता पूर्वक पुर्नविचार करने की मांग की है।

समर्थन का एक नुकसान यह भी है कि नीतीश के सियासी दुश्मन यह आरोप लगातार लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार बदल गये हैं, उन्होंने समझौता करना सीख लिया है और एक बार फिर वे पलट गये हैं। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी लगातार यह दावा करती रही कि वे सेक्युलर क्रेडेंसियल से कभी समझौता नहीं करेंगे लेकिन वे एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल के साथ खड़े हैं। अभी यह आकलन जल्दबाजी होगा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन से नीतीश कुमार या जेडीयू को कितना नुकसान होगा, या फिर कितना फायदा होगा लेकिन मौजूदा स्थिति जेडीयू को असहज रखने वाली है क्योंकि विरोध के सुर जेडीयू के अंदरखाने से उठे हैं।

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