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जॉर्ज और शरद जैसे कुशवाहा को निबटाना नहीं है आसान.

हम डूबेंगे सनम पर तुमको भी ले डूबेंगे की राह पर उपेंद्र, पार्टी में रहकर बढ़ायेगें नीतीश का सरदर्द.

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सिटी पोस्ट लाइव : उपेन्द्र कुशवाहा ने ये साफ़ कर दिया है कि शरद यादव और जार्ज फर्नांडिस की तरह उन्हें निबटाना आसान नहीं होगा.उपेन्द्र कुशवाहा के मीडिया में लगातार आ रहे बयान से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) इस कदर बौखला गये कि यहाँ तक कह दिया कि उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha ) को जहा जाना है जाएं.जानेवाले को कौन रोक रहा है? उपेन्द्र कुशवाहा भी चुप नहीं बैठे और पलटवार कर दिया.उन्होंने ये साफ़ कर दिया कि वो अपना हक़ और हिस्सा लिए वगैर कहीं नहीं जानेवाले हैं.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगे तब तो हर बड़का भाई अपने छोटका को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प ले. अपना हिस्सा छोड़कर ऐसे कैसे चले जाएं.’जाहिर है जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसे उपेन्द्र कुशवाहा खुद पार्टी छोड़नेवाले नहीं.जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसा उपेंद्र कुशवाहा का नहीं हो सकता. ये दोनों नेता बिहार के नहीं थे.बिहार जहाँ पर जाती की राजनीति हावी है जॉर्ज नीतीश कुमार पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं थे.शरद यादव तो यादव की राजनीत करते थे, पर बिहार के नहीं रहने के कारण यादव की जातीय बैंक की चाबी लालू प्रसाद के पास थे. वे यादव वोट के सहारे नीतीश कुमार को चुनौती देने की स्थिति में नहीं थे.

लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के हैं.बिहार में यादव के बाद कोई बड़ी जाति अगर है तो वह है कुशवाहा. कुर्मी वोट तो बिहार में काफी कम है. जो आबादी थी भी वह बंटवारे के बाद अधिकांश झारखंड में चली गई.कुशवाहा वोट है जिसे लव-कुश की राजनीति के मोलम्म में नीतीश कुमार जीत का समीकरण गढ़ते रहे.इसी वजह से नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को हमेशा तरजीह दी. पहली बार विधायक जब उपेंद्र कुशवाहा बने तो नीतीश कुमार ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाकर कई वरीय नेताओं से खटास मोल ले ली. वैसे भी राजनीति में पूछ उसी की है, जिसके पास वोट बैंक और उसकी चाभी भी हो. उपेंद्र कुशवाहा ऐसे ही नेताओं में शामिल है. ये वही उपेंद्र कुशवाहा हैं जिन्होंने एनडीए में बतौर रालोसपा शामिल हो कर 2014 के लोकसभा चुनाव लड़े और तीन पर खड़े हुए और 100 फीसदी परिणाम के साथ तीनों पर चुनाव भी जीते.आज भी कुशवाहा के सबसे बड़े नेता वहीँ हैं.

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