जरूरी सामान के लिए सीधे मौत को दिया जा रहा है निमंत्रण, नहीं समझ रहे गंभीरता को
सिटी पोस्ट लाइव : अब आवश्यक सेवाएं भी सरकार के गले की हड्डी बन रही है ।बिहार में गैस सिलेंडर लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग गैस एजेंसी के दफ्तर और गैस डिस्टिब्यूशन सेंटर पर जमा हैं ।सिलेंडर आवश्यक सेवा है । लोगों के पास गैस होनी ही चाहिए ।अगर होम डिलीवरी नहीं हो सकती है तो दूसरा विकल्प ईजाद करने की जरूरत है। होम डिलीवरी के नाम पर लोग सप्ताह भर तो इंतजार नहीं करंगे ।जाहिर सी बात है कि,थक-हारकर लोग एजेंसी और गोदाम पर जाएँगे ही ।एजेंसी के पास सीमित स्टाफ होते हैं ।
सहरसा के रमण इण्डेन गैस गोडान में जो देखने को मिला वो बेहद गंभीर है. यहाँ गैस के लिए लोग काफी संख्या में पहुंचे. बड़ी बात है कि क्या सरकार का जारी आदेश ठीक से लोगों तक नहीं पहुंचा है। क्लोयोंकि लोग मौजूं समय की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे हैं । यह भयावह स्थिति को न्योता है । लेकिन वे भी क्या करें, जरुरी चीजों को लेने के लिए दुकानों और गोदामों तक तो जाना ही पड़ेगा. ऊपर से कोरोना वायरस के कारण जो समस्या पैदा हुई है उससे भी लड़ना है. लेकिन जिस तरह से चीजों को लेकर लोक पैनिक हो रहे हैं. उसे सरकार थोडा कम करने की कोशिश करे तो ऐसी तस्वीरें नहीं देखने को मिलेगी. और लोग भी सुरक्षित अपने घरों में रह पाएंगे.
ये भी समझने वाली बात है कि जो आपदा पूरे देश पर आई है, उसके लिए पहले से तैयारी नहीं हुई थी. बिहार में भी इसकी कुछ खास तैयारी नहीं थी. ऐसे में थोड़ी दिक्कत तो लोगों को होगी. लेकिन जब लोग भीड़ लगा बीमारी को निमंत्रण ही दे देंगे तो लॉक डाउन का अर्थ ही नहीं रह जाता. यदि’ सरकार और पुलिस- प्रशासन के पास संख्यां बल नहीं है, तो सरकार को चाहिए कि वह बिहार के विभिन्य जिलों के सक्रिय सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं को सेनेटाइज कर के मैदान में उतरने का आग्रह नहीं निर्देश दें । ये सामाजिक वॉलेंटियर्स,लोगों के घर-घर तक आवश्यक चीजों को पहुंचाएंगे ।यह समय जागकर और मिलकर काम करने का है । अगर कोरोना को हराना है,तो समझदारी बढ़ानी होगी ।
सिटी पोस्ट के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट