सरकारी बंगलों पर पूर्व सांसदों और रिटायर्ड अफसरों के कब्जे से हाईकोर्ट नाराज
सिटी पोस्ट लाइव : सेवा-निवृति के बाद भी अधिकारियों द्वारा और चुनाव हार जाने के वावजूद राजनेताओं का राजधानी दिल्ली में 576 सरकारी बंगलों पर कब्ज़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने रिटायर्ड अधिकारियों और पूर्व सांसदों के अवैध कब्जे को लेकर नाराजगी जाहिर की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और 2 सप्ताह के भीतर इन्हें खाली कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि कब्जाधारियों से बकाया वसूल किया जाए और यदि कोई बंगला खाली नहीं करता है तो 2 सप्ताह में उनका सारा सामान सड़क पर फेंक दिया जाए.
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि सरकार इनसे बकाया वसूल करे और अब तक रिकवरी शुरू नहीं किए जाने को लेकर कोर्ट ने फटकार भी लगाई. इनमें से कई लोगों ने दो एक दशक से भी अधिक समय से कब्जा जमा रखा है और उनपर 95 लाख रुपये से अधिक बकाया है.कोर्ट ने टैक्सपेयर्स के पैसों की बर्बादी का जिक्र करते हुए कहा, ‘यदि कोई स्टे नहीं है (किसी अन्य कोर्ट से खाली करने को लेकर), वे खुद आवास खाली नहीं करते हैं तो दो सप्ताह में उनका सारा सामान सड़क पर रख दें.’ कोर्ट ने कहा कि टैक्सपेयर्स के पैसे से आप उन्हें सालों से मुफ्त घर, बिजली और पानी दे रहे हैं.
गौरतलब है कि कुछ मामलों में आवंटियों की मृत्यु हो चुकी है और उनके वारिस इन घरों में रह रहे हैं. कोर्ट ने इसे मंत्रालय की अक्षमता बताते हुए कहा कि आपके अधिकारियों का आपका सुस्त रवैया मिलीभगत की ओर इशारा करता है और इतने लंबे समय तक मिलीभगत आईपीसी के तहत साजिश है.कोर्ट ने शहरी विकास और आवास मंत्रालय से कहा, ‘यदि कोई सरकारी आवास में अधिक समय तक रहा तो आपको उसे हटाने के लिए 5 साल के प्लान की जरूरत तो नहीं? करीब 600 बंगले खाली नहीं कराए गए. आपने उनसे आवास खाली क्यों नहीं कराए? उन्हें रिकवरी के लिए अब तक कोई नोटिस क्यों नहीं दिया गया?’