सिटी पोस्ट लाइव : भले ही सूबे में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और सुविधाएं देने की बात सरकार कर रही हो, लेकिन यह दावे सीएम के गृह जिले नालंदा में ही खोखले साबित हो रहे हैं. जिसकी बानगी मंगलवार को बिहार शरीफ सदर अस्पताल में देखने को मिली. जहां आराम फरमा रहे डॉक्टर ने एक मासूम को देखना मुनासिब नहीं समझा. बच्ची के पिता अपनी 4 साल की बेटी को लेकर सदर अस्पताल में पागलों की तरह एक घंटे तक घूमते रही, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उसे देखना मुनासिब नहीं समझा. अंततः बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ गई और उसे परिजन बाईक से निजी क्लीनिक लेकर भागे.
जब मीडिया की टीम डॉक्टर के कमरे में घुसी तो वहां का नजारा ही कुछ और दिखा. डॉक्टर साहब मच्छरदानी के भीतर आराम फरमा रहे थे, लेकिन उन्होंने इस बच्ची को देखना मुनासिब नहीं समझा. ऐसे में ऐसे में सिस्टम पर सवाल जरूर खड़ा होता है. दरअसल रहुई थाना इलाके के इतासंग गांव निवासी निरंजन शर्मा की चार वर्षीया पुत्री स्वाति अचानक घर में बेहोश हो कर गिर पड़ी थी जिसे अस्पताल लाया गया था. लेकिन यहां तो डॉक्टर साहब खुद आराम फरमाने में लगे हुए हैं.