सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने एक बार फिर कहा है कि सुशांत केस में बिहार पुलिस के सम्मान से खिलवाड़ किया गया जिसके बाद वे महराष्ट्र सरकार के खिलाफ मुखर तौर पर सामने आए थे, इसे राजनीति के चश्में देखा जाना पूरी तरह गलत है। गुप्तेश्वर पांडेय एक बार फिर आज मीडिया के सामने आए और उऩ्होनें कहा कि आप सभी ने देखा कि सुशांत सिंह राजपूत केस में बिहार पुलिस के सम्मान से किस तरह खिलवाड़ किया गया । मामले की जांच के लिए मुंबई गये आईपीएस ऑफिसर को किस तरह रातों-रात क्वारंटीन कर दिया गया।
केस की जांच नहीं करने दी गयी। उन्होनें कहा कि आज तक भारत के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ होगा कि मामले की जांच के लिए दूसरे राज्य में गये एक आइपीएस अधिकारी को इस तरह बंधक बना लिया गया हो। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जांच नहीं करने देना चाहती को दो लाइन का लिखित आदेश जारी कर सकती थी ये सब करने की क्या जरुरत थी। उन्होनें कहा कि आपने ये भी देखा जांच के लिए गयी एसआईटी के साथ किस तरह से बदसलूकी की गयी। उन्हें किसी कैदी की ठेल कर वाहन पर बैठाया गया।
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मैनें इन सब मामलों में महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इस विषय में बात करना भी गंवारा नहीं समझा तब मैंने सोशल मीडिया के जरिए तमाम बातों को लोगों के सामने रखा ताकि बिहार पुलिस के साथ जो कुछ भी हुआ वो सामने आ सके। मैंने तब बिहार पुलिस का मुखिया होने के नाते अपनी पुलिस के सम्मान की रक्षा में ये कदम उठाया पर लोग इसे राजनीति का नाम देने लगे जो बिल्कुल निरर्थक है।
इस मौके पर पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने ये भी साफ किया है कि उनके साथ कोई ठगी नहीं हुई है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार जुबान के पक्के हैं और मेरी उनमें पूरी आस्था है। उन्होनें कहा कि मैं एनडीए के साथ मजबूती से खड़ा हूं। दरअसल बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की खबरों के बीच आखिरी वक्त पर टिकट नहीं मिलने पर तरह-तरह की खबरें सामने आ रही थी जिस पर उन्होनें कहा कि उनके साथ किसी तरह कोई ठगी नहीं हुई है। राजनीति के समीकरण ऐसे होते है कि कभी आप जो नहीं चाहते तो भी हेर-फेर हो जाता है।
गुप्तेश्वर पांडेय ने इस मौके पर मीडिया के सामने कहा कि मैं जानता हूं आप सबके मन ये चल रहा कि मैंने पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर सीएम नीतीश कुमार के समक्ष राजनीतिक दल ज्वाइन किय़ा तो मेरे चुनाव लड़ने की बात सामने आने लगी। उन्होनें कहा कि मैं जदयू का अनुशासित सिपाही हूं। मेरे वीआरएस लेने और पार्टी की सदस्यता को सीधे चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नही है। उन्होनें कहा कि मैनें ये जरूर कहा था कि चुनाव लड़ सकता हूं लेकिन मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ रहा हूं।