बिहारियों के पलायन के बाद गुजरातियों को नहीं मिल रहे निजी ‘सुरक्षा गार्ड
सिटी पोस्ट लाइव : गुजरात बिहारियों और खासतौर पर उत्तर भारतीयों के पलायन को लेकर गुजारात का संकट बढ़ गया है. बिहारी श्रम (मजदूरों) की बदौलत चलनेवाले गुजारत के दर्जनों इंडस्ट्री में ताला लगाने की नौबत आ गई है. फैक्ट्रियों में काम करने के लिए मजदूर और कारीगार नहीं मिल रहे हैं. सबसे ज्यादा हीरे का उद्योग प्रभावित हुआ है, जहाँ सबसे ज्यादा बिहारी काम करते हैं. सूरत के एक व्यापारी हिमेश हिसारिया का कहना है कि जो काम बिहारी कर सकते हैं, उस काम को बिहारी कर ही नहीं सकते. गुजराती मेहनत मजदूरी वाला काम कर ही नहीं पाते. ऐसे में लाखों बिहारियों के भाग जाने से यहाँ के उद्योग धंधों के लिए कामगारों की बहुत किल्लत हो गई है.
दूसरी सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा को लेकर पैदा हो गई है. गौरतलब है कि गुजरात में निजी सिक्यूरिटी एजेंसियों में ज्यादातर बिहार के गार्ड्स काम करते हैं. लेकिन बिहारियों को निशाना बनाए जाने के बाद वो भी बिहार भाग आये हैं. अप्रवासियों को खतरा बताकर उन्हें खदेड़ने वाले गुजराती अब बिहारी गार्ड्स के अपने प्रदेश लौट जाने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं.बिहारियों के ऊपर हमले किए गए, उन्हे बाहर भगाया गया तो वहीं अब उत्तर भारतीयों के गुजरात छोड़ने के बाद गुजरात को और ज्यादा सुरक्षा की चिंता सताने लगी है.
अनुसार भारत में निजी सुरक्षा गार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष निकाय ने इस बात का दावा किया है कि गुजरात छोड़ने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के अनुमानित 50,000 प्रवासियों में से अवासिये कॉलोनियों, मॉल, बैंकों, एटीएम और कार्यालय भवनों जैसे विभिन्न प्रतिष्ठानों की रक्षा करने वाले गार्डो की संख्या बहुत बड़ी है.सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री (सीएपीएसआई) के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह के अनुसार “अहमदाबाद में, सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या गुजरात छोड़ कर चली गई है.
गुजरात में 5 लाख से अधिक सुरक्षा गार्ड कार्यरत हैं, और इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक या 350,000 राज्य से बाहर के रहनेवाले हैं.सीएपीएसआई द्वारा प्रस्तावित अनुमानों को मानें तो भारत में अनुमानित 25,000 सुरक्षा एजेंसियां हैं. वहीं देश में लगभग 8 मिलियन से ज्यादा निजी सुरक्षा गार्ड तैनात है. सीएपीएसआई प्रवासी श्रमिकों को गुजरात नहीं छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर आवासीय कल्याण संघ (आरडब्ल्यूए) के सदस्यों से बात कर रहा है.
इसमे शक की कोई गुंजाइश नहीं कि यहां से गए गैर—गुजरातियों में डर और भय है और वे दुबारा इस जगह पर आने से पहले सौ बार सोचेगे. उन्होने कहा कि “यदि आपका सुरक्षा गार्ड हीं असुरक्षित महसूस कर रहा है तो यह बेहद हीं अवांछित है. आपको बता दे कि गुजरात में प्रवासियों के खिलाफ दो हफ्ते पहले सामने आई एक प्रवासी कथित बतात्कार की घटना के राज्य के 33 जिलों में से कम से कम सात से प्रवासियों पर हमलों की घटना सामने आई.