पर्यावरण दिवस पर विशेष :गंगा छोड़ नाला पूजन की नई परंपरा शुरू

City Post Live - Desk

राजनीति के दो पार्टों के बीच रहने के कारण अपराधी नेता कहलाते हैं, वैसे ही गंगा के दो पार्टों के बीच रहने के कारण नाले का जल गंगा जल कहलाने लगा है. निलय उपाध्याय के गंगा जगाव अभियान पर पेश है एक खास रिपोर्ट.

सिटी पोस्ट लाइव : गंगा को बचाने के लिए देश स्तर पर सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही है. अबतक हजारों हजार करोड़ गंगा में बहाया जा चूका है लेकिन गंगा की सेहत सुधरने की बजाय और बिगडती जा रही है.अब गंगा को बचाने का बीड़ा उठाया है जानेमाने लेखक और समाजसेवी निलय उपाध्याय ने .”गंगा जगाओ ” अभियान निलय देश भर में घूम घूमकर चला रहे हैं. दरअसल निलय का मानना है कि सरकार के बलबूते गंगा को नहीं बचाया जा सकता.गंगा को बचाने के नाम पर खजाना लूटनेवालों की घेराबंदी करना और जन-जागरण करना ही उनके अभियान का मकसद है. गंगा की तरफ आम लोगों के साथ साथ सरकार का ध्यान खींचने का निलय का यह अनोखा तरीका जनता को गंगा के प्रति जागरूक करता है तो दूसरी तरफ गंगा की साफ़ सफाई के नाम पर लूट मचानेवालों के बीच दहशत पैदा करता है. निलय उपाध्य पटना में गंगा में गन्दा पानी उगल रहे नालों की पूजा कर रहे हैं. उनका सन्देश साफ़ है अगर हम आज नहीं चेते तो कल इन्हीं नालों को गंगा के रूप में पूजना पड़ेगा. निलय कभी दिल्ली में “यमुना जगाओ ” अभियान चलाकर दिल्ल्ली और केंद्र सरकार की नींद उड़ाते हैं तो कभी गंगा किनारे जाकर यूपी और बिहार सरकार की बेचैनी बढाते हैं.निलय उपाध्याय के इस अभियान में उनका साथ देते हैं लोक गायक और गायिकाएं.

गंगा से और जमुना से जोड़कर देशी अंदाज में लोक गायिका रेखा ऐसे लोक गीत गाती हैं कि सबका ध्यान गंगा की तरफ चला जाता है. गंगा जो जीवनदायिनी मानी जाती है आज खुद उसका जीवन संकट में है. ऋषिकेश में गंगा अल्हड ,जवान बलखाती दिखती है वहीँ बनारस अयोध्या पहुंचते पहुँचते शांत हो जाती है. बनारस तक का सफ़र तय करते करते वह थकी और बूढी नजर आने लगती है.बिहार में वह बीमार और मृत्यू शैय्या पर पड़ी दिखती है. गंगा करोड़ों लोगों के आस्था से जुडी है लेकिन बिहार में उसकी हालत इतनी खराब है कि उसे पीने और उससके पानी से नहाने  की बात कौन करे, लोग उसे छूने से भी घबराते दीखते हैं. तभी तो आज अपना घर-बार छोड़ कर निलय कहीं न कहीं गंगा किनारे अपना डेरा जमाये रहते हैं.निलय का मानना है कि गंगा के साथ हमारा अस्तित्व इस कदर जुड़ा हुआ है कि गंगा नहीं तो हम नहीं. यहीं बात जिस दिन आम आदमी के दमाग में घुस जाएगा गंगा को बचाने की निलय की लड़ाई पूरी हो जायेगी. निलय अबतक कई चर्चित उपन्यास और गंगा यमुना पर किताबें लिख चुके हैं. कई चर्चित टेलीविज़न सेरियल और फिल्मे भी उनके उपन्यास पर बन चुकी हैं. अतार टीवी के चर्चित सीरियल “देवों के देव महादेव ” उन्ही की कीर्ति. सबकुछ घार परिवार और रोजी रोटी की चिंता छोड़कर निलय गंगा यमुना को बचाने के लिए आन्दोलन चला रहे हैं.

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