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“विशेष” : जान जोखिम में डालकर ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिए शिवपूजन झा को मिला ENBA अवार्ड

पहले भी कई अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं शिवपूजन

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“विशेष” : जान जोखिम में डालकर ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिए शिवपूजन झा को मिला ENBA अवार्ड

सिटी पोस्ट लाइव : क्षेत्र कोई भी हो लेकिन हौसला और जुनून के साथ ईमानदारी का जलजला हो,तो कामयाबी कदम निसन्देह चूमती है। अदम्य साहस, निर्भीकता, बेबाकी और बिना लाग-लपेट के पत्रकारिता की नई ईबारत लिख रहे शिवपूजन झा को देश ने एकबार फिर से सम्मान दिया है। जान जोखिम में डालकर ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिए इसबार शिवपूजन झा को ENBA अवार्ड मिला है। बताते चलें कि इससे पहले भी शिवपूजन झा अपनी धारदार पत्रकारिता के लिए कई अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं। अभी-अभी जो उन्हें उन्हें अवार्ड मिला है वह उनके अदम्य साहस से लवरेज रिपोर्टिंग के लिए है। शिवपूजन झा ने झारखण्ड के पत्थलगड़ी इलाके की ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग की है, जहाँ पुलिस वाले भी जाने से कतराते हैं। इस इलाके में भारतीय संविधान और कानून से ईतर खुद के नियम, कायदे, कानून और रिवायतें हैं। यहाँ की ग्रामसभा जो तय करती है, उसी को अमली जामा दिया जाता है।

शिवपूजन झा ने इस इलाके में घुसकर ना केवल इस इलाके के सारे सच को अपने कैमरे में कैद किया है बल्कि इस इलाके के लोगों से बारीकी से बातचीत कर उन्हें बाखूबी टटोला भी है। यहाँ के लोगों को भारतीय संविधान से कोई लेना-देना नहीं है। शिवपूजन झा ने इस इलाके के तथाकथित कई सूरमा नेताओं से भी बातचीत की है। बातचीत सवालों से भरे और नब्ज को सिद्दत से टटोलने वाली थी ।यह बड़ा जोखिम भरा काम था। लेकिन शिवपूजन झा ने एक मंझे हुए कलाकार के तौर पर अपनी रिपोर्टिंग मुकम्मिल की।
पत्थलगड़ी का मतलब ऐसे शिलापट्ट से है जिसपर आदिवासियों की ग्रामसभा द्वारा तैयार कानून और विधान चस्पां हैं। अभीतक 37 गाँव इस पत्थलगड़ी की जद में आ चुके हैं। यह शिलापट्ट कई गांवों के बाहर मिट्टी में गाड़े जा चुके हैं। यह इलाका पूरी तरह से लिबरेटेड जोन बन चुका है।

इस इलाके में बिना ग्रामसभा की ईजाजत के कोई परिंदा भी नहीं घुस सकता है। यहाँ भारतीय संविधान से कोई सरोकार नहीं है। यहाँ आदिवासियों की सरकार चलती है। यहाँ के लोग काले कानून की बंदिशों में जीने के लिए विवश हैं। पिछले साल 2018 के 19 जून को इसी काले कानून से चलने वाले कुंचाय गाँव में पांच युवतियाँ आयी थीं। ये युवतियाँ यहाँ की महिलाओं और पुरुषों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक कर रही थीं। लेकिन यहाँ के सूरमाओं ने हथियार की नोंक पर उन्हें पहले तो अगवा कर लिया, फिर उनके साथ सामूहिक गैंग रेप किया। इस मामले में पुलिस अभीतक कुछ भी नहीं कर सकी है। इस सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी और इस इलाके में खुद अपना संविधान और कानून बनाने वाले एक बड़े नेता बलराम सम्वत से भी शिवपूजन झा ने बातचीत की।

यानि जान को पूरी तरह से हथेली पर लेकर देश से बिल्कुल कटे इस हिस्से की जमीनी सच्चाई से शिवपूजन झा ने देश को रूबरू कराया है ।वाकई उनकी यह रिपोटिंग एक बेनजीर कामयाबी के तौर पर देखा जाना चाहिए ।चूंकि इसी देश का एक हिस्सा भारतीय संविधान से बिल्कुल कटकर अपने बनाये संविधान से चल रहा है ।इसी रिपोर्टिंग को लेकर शिवपूजन झा को ENBA अवार्ड से नवाजा गया है ।पत्रकारिता जगत को ऐसे जांबाज सिपाही पर नाज और गर्व होना चाहिए।

शिवपूजन ने अवार्ड किये शहीदों के नाम

शिवपूजन झा ने हमसे दूरभाष पर हुई खास बातचीत में कहा कि इस अवार्ड को हम पुलवामा में शहीद हुए 44 जवानों को समर्पित करते हैं ।हमें यह सम्मान उस वक्त मिला,जिस वक्त पूरा देश रो रहा है। हम भी अपने समूल वजूद से दुःखी और पूरी तरह से हिले हुए हैं ।हम यह अवार्ड वीर अमर शहीदों के नाम कर के उन्हें श्रद्धाजंलि देते हैं ।शिवपूजन झा मूल रूप से बांका जिले के रहने वाले हैं ।लेकिन 40 साल पहले उनका परिवार भागलपुर में आकर बस गया। अब वे भागलपुर के निवासी हो गए हैं। शिवपूजन झा के पत्रकारिता जीवन के सफर पर हमने जो जानकारी उपलब्ध की है,उसे आपसभी से साझा कर रहा हूँ। शिवपूजन झा की पहली रिपोर्ट अखबार में तब छपी थी, जब वे नौवीं कक्षा के छात्र थे ।उन्हें बचपन से ही पत्रकारिता का शौक रहा है ।हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मजबूत पकड़ रखने वाले शिवपूजन झा की पत्रकारिता की विधिवत मूल पारी 1997 में दिल्ली से शुरू हुई ।शिवपूजन झा ने द एशियन एज,सहारा समय,दूरदर्शन, सीएनएन-आईबीएन,न्यूज एक्स,जी बिहार-झारखण्ड में काम किये ।इसके बाद आजतक गए लेकन वहाँ बहुत दिनों तक नहीं टिके ।वर्तमान में शिवपूजन झा इंडिया न्यूज और उसी मीडिया ग्रुप के अंग्रेजी चैनल न्यूज एक्स के बिहार-झारखण्ड के रेजीडेंट एडिटर हैं ।

बताना लाजिमी है कि इस अवार्ड से पहले भी शिवपूजन झा को बेहतर काम करने के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं ।बिहार के कोसी फ्लड पर इनको देश के सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का खिताब मिल चुका है ।अर्थशास्त्र से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले शिवपूजन गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं ।कॉलेज जीवन में सेमिनार में डिबेट के लिए कई बार सम्मानित हुए हैं ।वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ के सुकमा के ताड़मेटला में समाचार संकलन के दौरान माओवादियों ने इन्हें बंधक बना लिया था ।बड़ी मुश्किल से इन्हें वहाँ से आजादी मिली थी ।केदारनाथ त्रासदी में 5 दिनों तक भूखे रहकर जंगलों में भटकते-भटकते वे गुप्त काशी से पैदल केदारनाथ पहुँचे थे और तब जाकर रिपोर्टिंग की थी ।

अपने 22 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने दिल्ली,यूपी,एमपी, छत्तीसगढ़,वेस्ट बंगाल,राजस्थान, उत्तराखंड,बिहार और झारखण्ड में काम किये हैं ।पत्रकारिता इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य रहा है ।जहाँतक इनके शौक का सवाल है,तो इन्हें बागवानी का खासा शौक है ।ये एक कुशल बागवां भी हैं ।खाली समय में ये बिना पैसे लिए बच्चों को पढ़ाते हैं ।विभिन्य स्कूलों में मोटिवेशनल क्लासेज भी लेते हैं ।शिवपूजन झा शालीन,मृदुभाषी,अनुशासन प्रिय और जीवन के सार को समझकर जीवन जीने वाले एक दमदार शख्सियत है ।पत्रकारिता जगत को इनकी काबिलियत पर नाज है ।सिटी पोस्ट लाइव परिवार शिवपूजन झा को मिले अवार्ड के लिए उन्हें बधाई देने के साथ-साथ उनके बेमिशाल और बेनजीर भविष्य की कामना करता है ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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