सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने उरांव जनजाति से जुड़े एक युवक की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें तलाक की याचिका को नॉट मेंटेनेबल करार दिया गया था। रांची की निचली अदालत ने तलाक से जुड़ी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि प्रार्थी उरांव समुदाय से आते हैं और उनके मामले की सुनवाई उनके सामाजिक नियमों के हिसाब से की जानी चाहिए। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। झारखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए यह आदेश दिया कि निचली अदालत का फैसला गलत है और इनके मामलों की सुनवाई फैमिली कोर्ट के अनुसार किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि उरांव जनजाति के युवक और युवती की शादी पारम्परिक तरीके से 2015 में हुई थी। शादी के कुछ ही दिनों के बाद युवक ने यह कहते हुए तलाक याचिका दायर की थी कि युवती का संबंध किसी और के साथ है। ऐसे में साथ रहना मुश्किल है। निचली अदालत ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उरांव जनजाति के लिए सामाजिक विधान है और सामाजिक विधान के होते हुए फैमिली कोर्ट एक्ट के तहत उनके मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती।
इस मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच में हुई। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने यह आदेश पारित किया है। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का एक्ट सेक्शन सात सबके लिए समान रूप से लागू होता है। यह एक्ट सेक्युलर कानून है जो कि हर धर्म के लोगों पर लागू होता है। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुभाशीष सोरेन और अधिवक्ता कुमार वैभव को एमेक्स क्यूरी नियुक्त किया था।