बेगूसराय में बदहाल है चिकित्सा व्यवस्था, अस्पतालों में न संसाधन न मरीजों के लिए सुविधाएं

City Post Live - Desk

बेगूसराय में बदहाल है चिकित्सा व्यवस्था, अस्पतालों में न संसाधन न मरीजों के लिए सुविधाएं

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में सुशासन बाबू की सरकार लाख दावे करे कि बिहार में अब स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो गई है। किन्तु बेगूसराय जिले में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की हालत काफी बदहाल बनी हुई है। खासकर ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी दयनीय है कई जगहों पर चिकित्सक, एएनएम व अन्य स्वास्थ्यकर्मी पहुंचते भी नहीं हैं। अधिकतर सरकारी अस्पतालों में न संसाधन है, न मरीजों के लिए जरूरी सुविधाएं। कई सरकारी अस्पतालों में तो अक्सर ताला ही लगा रहता है। इस वजह से मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए। वहीं बेगूसराय में प्रति 28,925 व्यक्ति पर मात्र एक सरकारी चिकित्सक ही कार्यरत है। यहां की 35 लाख की आबादी को सरकारी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए 70 एमबीबीएस, 8 दंत रोग  चिकित्सक और 31 आयुष चिकित्सक ही कार्यरत हैं। यह आंकड़ा 31 मार्च 2018 को जिला स्वास्थ्य समिति, बेगूसराय द्वारा राज्य स्वाथ्य समिति, पटना को भेजे गए रिपोर्ट के अनुसार है।

जिले में एक सदर अस्पताल, तीन रेफरल अस्पताल ,18 पीएचसी, 22 एपीएचसी और 292 सब सेंटर हैं जिसके लिए स्वीकृत स्वास्थ्यकर्मियों के कुल 1588 पद के बदले मात्र 969 ही कार्यरत हैं। यानि 619 पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिले की कुल आबादी को सरकारी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की कुल 146 पद स्वीकृत कर रखें हैं, जिसमें एमबीबीएस चिकित्सक मात्र 70, आयुष चिकित्सक के स्वीकृत 40 पदों के एवज में 31, दंत चिकित्सक के स्वीकृत 18 पदों पर मात्र आठ चिकित्सक एवं संविदा चिकित्सक के स्वीकृत 94 पदों पर मात्र ग्यारह चिकित्सक ही कार्यरत हैं।

अर्थात एमबीबीएस के 76, आयुष चिकित्सक के 9, एवं दंत चिकित्सक के 10, एवं संविदा चिकित्सक के 83 पद खाली पड़े हैं। यह स्थिति सिर्फ चिकित्सक के मामले में ही नहीं है,बल्कि एएन‌एम के स्वीकृत 661 में से मात्र 132, फार्मासिस्ट के स्वीकृत 45 पद पर 25, संविदा नर्स के स्वीकृत 360 पद पर मात्र 172 नर्स ही कार्यरत है। इस तरह अस्पतालों की यह बदहाली प्रदेश में चल रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संबंधित कार्यक्रमों को जहां मुंह चिढ़ा रही है, वहीं बिहार सरकार के दावों की पोल भी खोल रही है।

क्रांति कुमार पाठक

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