सिटी पोस्ट लाइव : जाति व्यवस्था और सरनेम को लेकर दिए गए अपने बयानको लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर खुद फंस गये हैं. विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ साधु संतों ने भी मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मंत्री चंद्रशेखर अपने नाम के आगे सरनेम लगाते हैं और उन्होंने अपने संबोधन में गलतबयानी की है .मंत्री का वर्ष 2005 का एक चुनावी पंपलेट लगा है जिसमें लिखा है निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव.वर्ष 2005 में मंत्री चंद्रशेखर ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और उस वक्त उनका चुनाव चिन्ह गिलास छाप था. अब मंत्री का झूठ पकड़ा गया. साथ ही इससे साबित हुआ कि वोट बैंक के खातिर मंत्री अपने सरनेम में यादव लगाते रहे हैं.
बुधवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भाग लेने पहुंचे थे. वहीं मंत्री ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए जहां रामचरितमानस, सुंदरकांड पर सवाल खड़ा करते हुए इसे नफरत का ग्रंथ बता दिया. वहीं, इन्होंने यह भी कहा था कि आज भी समाज में जातिवादी सोच से लोग जकड़े हुए हैं. वहीं दावे के साथ कहा था कि मैं अपने नाम के आगे और पीछे कोई सरनेम नहीं लगाता.
उन्होंने अपने संबोधन में साफ कहा कि मैं सिर्फ चंद्रशेखर लिखता हूं. इन्होंने लोगों से अपील भी कर दी कि अगर देश को ताकतवर बनाना है तो जाति और सरनेम नहीं जानना चाहिए. लेकिन मंत्री का झूठ पकड़ा गया है.वो चुनाव में अपने सर नेम का उपयोग करते रहे हैं भले उनके सर्टिफिकेट में सरनेम नहीं है.वोट बैंक को साधने के लिए वो खुद अपने सर्नेमका इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन लोगों को अपनी जाति न बताने और किसी की जाति नहीं पूछने का आह्वान कर रहे हैं.