जगन्नाथ मिश्रा का सियासी सफर, एक प्रोफेसर के CM की कुर्सी तक पहुँचने की कहानी
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता, पूर्व सीएम (CM) जगन्नाथ मिश्रा (Jagannath Mishra) का सोमवार को इलाज के दौरान दिल्ली (Delhi) में निधन हो गया. 82 साल के मिश्रा काफी लंबे समय से बीमार (Sick) चल रहे थे. तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके डॉ जगन्नाथ मिश्रा नौकरी में रहने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उनकी गिनती इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेताओं में होने लगी.
प्रोफेसर से CM तक कुछ ऐसा था जगन्नाथ मिश्रा का सियासी सफर बड़ा ही रोमांचकारी और चुनौतीपूर्ण था. अपने करियर की शुरुआत लेक्चरर के तौर पर करनेवाले डॉक्टर मिश्र बिहार यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दीं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर की लेकिन बचपन से ही राजनीति की तरफ उनका बेहद झुकाव था.
जगन्नाथ मिश्रा के बड़े भाई ललित नारायण मिश्रा राजनीति में थे. रेल मंत्री भी रह चुके थे .जाहिर है डॉक्टर मिश्र को राजनीति उनको विरासत में मिली थी. तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. जगन्नाथ मिश्रा नौकरी में रहने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे. पार्टी में प्रवेश के बाद उनकी गिनती इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेताओं में होने लगी. वह पहली बार 1975 में और दूसरी बार वर्ष 1980 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. वह आखिरी बार साल 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. बिहार के सीएम पद पर रहने के अलावा 90 के दशक में मिश्रा केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय रहे और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी बने.
डॉ मिश्रा का नाम बिहार के बड़े नेताओं खास कर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में लिया जाता है. कहा जाता है कि उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद ही बिहार में कांग्रेस पार्टी के पतन की शुरुआत हो गई. कांग्रेस छोड़ने के बाद वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे.
जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर 2013 को चारा घोटाले में 44 अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया गया था. उन्हें चार साल की जेल के अलावा 200,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. हालांकि, इस मामले में उनको स्वास्थ्य कारणों से बेल मिल गया था. उनके जेल से बाहर आने के बाद कई तरह के सवाल भी उठे थे.जगन्नाथ मिश्रा के निधन की जानकारी मिलते ही बिहार के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है.