सिटी पोस्ट लाइव : चुनाव कार्य में निजी वाहन की जब्ती को लेकर जिला प्रशासन विशेष सावधानी बरत रहा है। पटना हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के अनुसार चुनाव कार्य के लिए किसी निजी वाहन को नहीं पकड़ना है। हाईकोर्ट के न ये आदेश ने ये भी साफ़ कर दिया है कि चुनाव कार्य के लिए गाडी पकड़ने के पहले जिला प्रशासन को ये कन्फर्म कर लेना है कि गाड़ी प्राइवेट है या कमर्शियल।
कोर्ट के आदेश के अनुसार ये जानकारी प्राप्त करना अधिकारी का काम है न कि गाड़ी मालिक और ड्राइवर का। कोर्ट ने निजी गाड़ी को चुनाव कार्य में लगाए जाने पर राज्य सरकार को पांच हजार रुपये बतौर क्षति पूर्ति देने का आदेश दे रखा है. इतना ही नहीं
अदालती आदेश को नजरअंदाज कर प्राइवेट गाड़ी को जब्त किये जाने पर अपने पास से पांच हजार रुपये डीएम को देना होगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों एक मामला सामने आया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि अधिकारी ने चुनाव कार्य के लिए गाड़ी जब्त कर लिए आरजू मिन्नत के बाद भी गाड़ी को नहीं छोड़ा गया। गाड़ी प्राइवेट होने की बात बताने के बाद भी गाड़ी
नहीं छोड़ा गया। इसके जवाबी हलफनामे में डीएम की तरफ से बताया गया कि गाड़ी प्राइवेट है इस बात की उन्हें जानकारी नहीं थी और मालिक, ड्राइवर ने भी ये बात नहीं बताई।
कोर्ट ने जिला प्रशासन की सफाई को खारिज कर दिया था और नाराजगी जताते हुए कहा था कि परिवहन विभाग के पास हर वाहन का विवरण होता है। ये काम अधिकारी का है कि वे पता करें कि गाड़ी प्राइवेट है या कमर्शियल। इसके साथ ही कोर्ट ने डीएम के दलील को नामंजूर करते हुए साफ कर दिया था कि चुनाव कार्य के लिए प्राइवेट गाड़ी को जब्त नहीं किया जा सकता है।