सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सह झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) प्रत्याशी की जीत से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा तो बच ही गयी, साथ ही करीब डेढ़ साल के शासन से नाराज चल रहे असंतुष्ट यूपीए विधायकों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मुहिम को भी झटका लगा है। उपचुनाव परिणाम से हेमंत सरकार पर मंडरा रहा आसन्न खतरा फिलहाल टल गया है, परंतु महागठबंधन को पूर्ण बहुमत होने के बावजूद यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी, इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक समय-समय पर सवाल उठाते रहे है।
मधुपुर विधानसभा उपचुनाव परिणाम से प्रत्यक्ष रूप से तो हेमंत सोरेन सरकार के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था और आशा के अनुरूप जेएमएम प्रत्याशी की जीत भी हुई। लेकिन उपचुनाव में जिस तरह से बीजेपी उम्मीदवार गंगा नारायण सिंह ने जेएमएम प्रत्याशी सह राज्य के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन को कड़ी टककर दी, उसने सभी को हैरत में डाल दिया। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को सिर्फ 65हजार वोट मिले थे, लेकिन इस बार सत्ता में नहीं रहने के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी को एक लाख पांच हजार से अधिक वोट मिलें, अर्थात लगभग 40 हजार अधिक वोट मिलें, विधानसभा चुनाव में इतने अधिक मतों की बढ़ोत्तरी काफी मायने रखते हैं। हालांकि जेएमएम के मत प्रतिशत में भी बढ़ोत्तरी हुई, वर्ष 2019 के चुनाव में जेएमएम को करीब 88हजार वोट मिले और इस बार एक लाख 10 हजार से अधिक वोट मिलें, परंतु जेएमएम से अधिक बीजेपी के मत प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई।
उपचुनाव के लिए नामांकन और चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के कई नेताओं की ओर से दावा किया गया मधुपुर चुनाव परिणाम के बाद राज्य में सत्ता परिवर्त्तन होगा और बीजेपी के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन होगा। इस तरह की बात सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी भर नहीं थी, बीजेपी को उम्मीद थी कि यदि मधुपुर में जेएमएम प्रत्याशी हार जाते है, तो ना सिर्फ उन्हें मंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ेगा, बल्कि अलग-अलग कारणों से नाराज चल रहे जेएमएम और कांग्रेस के कई विधायकों की मदद से सरकार को भी गिराने में सफल होंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बीजेपी की चाल को अच्छी तरह से समझ रहे थे, यही कारण है कि कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलाव के बावजूद वे मुख्यालय छोड़ कर आठ दिनों तक लगातार मधुपुर में कैंप कर रहे।
इस दौरान हेमंत सोरेन ने चुनावी सभाओं को संबोधित करने के साथ ही घर-घर जाकर मतदाताओं से सीधा संपर्क स्थापित कर वोट मांगने का काम किया। वहीं सरकार के अधिकांश मंत्री और दर्जनों विधायक भी कई दिनों तक लगातार मधुपुर में कैंप करते रहे। मधुपुर विधानसभा उपचुनाव परिणाम से हेमंत सोरेन को बढ़ी राहत मिली है, लेकिन जीत का अंतर कम हो जाना, उनकी चिंताओं को बढ़ाने वाला हो सकता हैं। वहीं लगातार तीन-तीन विधानसभा उपचुनाव (दुमका, बेरमो और मधुपुर) में बीजेपी की हार से प्रदेश नेतृत्व पर भी कुछ लोग सवालीय निशान खड़ा कर रहे हैं। इसके बावजूद बीजेपी भी अब नये सिरे से चक्रव्यूह रचने में जुट गयी है।