अपने अधिकारियों की नाफरमानी से परेशान हैं बिहार के DGP, 9 महीने में दोबारा लिखा लेटर
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर पुलिस की भूमिका को लेकर तो सवाल उठ ही रहा है. अब ये खुलासा भी हो गया है कि राज्य के पुलिस अधिकारी अपने डीजीपी के आदेश की भी परवाह नहीं कर रहे. ये खुलासा मीडिया नहीं बल्कि खुद डीजीपी केएस द्विवेदी कर रहे हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय से निकले एक लेटर में डीजीपी ने अपने अफसरों को सही से ड्यूटी करने और कानून का राज बहाल करने का टास्क दिया है.
सूबे मे बढ़ते अपराध के बीच पुलिस की कार्यशैली को लेकर आम लोग से लेकर विपक्ष तो सवाल खड़ा कर ही रहा है लेकिन जब खुद राज्य पुलिस मुख्यालय और पुलिस महकमे का मुखिया खुद लाचार और वेवश नजर आये, उसके अधिकारी उसकी बात न सुनें तो स्थिति की गंभीरता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. बिहार पुलिस मुख्यालय ने राज्य के सभी जिलों के एसपी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं साथ ही कई दिशा निर्देश भी जारी किया है.
डीजीपी ने पुलिस गश्ती सही ढंग से नहीं करने को लेकर सभी एसपी को पत्र लिखा है. इस पत्र में डीजीपी ने माना है कि सूबे में रात्रि गश्ती की बात तो दूर दिन में भी नियमित गश्ती नहीं की जा रही है. इससे पहले भी डीजीपी ने इसी साल 9 महीने पहले यानि मार्च महीने में अपराधियों, शराब, हथियार और प्रतिबंधित वस्तुओं की रोकथाम के लिये नाकाबन्दी का सुझाव दिया था. लेकिन इस सुझाव का कहीं भी ढंग से पालन नहीं किया गया. नतीजन बिहार में क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता गया. ऐेसे में एक बार फिर से डीजीपी ने सभी एसपी को तत्काल प्रभाव से जिलों में नाका स्थापित करने का आदेश दिया है.
डीजीपी ने आदेश दिया है कि हर नाके में जिला पुलिस बल से 20 जवान तैनात किये जायें. डीजीपी ने तमाम कार्यालयों और आवासीय कार्यालयों से इन जवानों को उपलब्ध कराने की भी नसीहत दी है. सभी एसपी को लिखे इस पत्र से ना केवल पुलिस महकमें में खलबली मच गई है बल्कि इससे पुलिस अफसरों की बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है.साथ ही सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि अगर पुलिस अधिकारी अपने डीजीपी का आदेश नहीं सून रहे हैं, तो उन्हें नियंत्रित कौन कर रहा है?
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